4 राज्यों से मिलकर हुआ था निर्माण, स्थापना दिवस पर जानें देश का ह्रदयस्थल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के पुनर्गठन से जुड़ी दिलचस्प बातें 

मध्य प्रदेश स्थापना दिवस 4 राज्यों से मिलकर हुआ था निर्माण, स्थापना दिवस पर जानें देश का ह्रदयस्थल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के पुनर्गठन से जुड़ी दिलचस्प बातें 

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-31 16:59 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। 1 नवंबर को मध्यप्रदेश अपना 67वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर पर प्रदेश भर में राज्य और जिला स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस खास मौके पर हम आपको मध्यप्रदेश के निर्माण से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। जिसमें आप जानेंगे कि किस तरह 4 राज्यों से मिलकर मध्यप्रदेश बना था और इसके गठन में 34 महीनों का समय लगा था। 

4 राज्यों से मिलकर हुआ था निर्माण, 34 महीनों का लगा था समय 

आजादी के बाद मध्यप्रदेश को मध्य प्रांत और सीपी बरार के नाम से जाना जाता था। जब सरदार पटेल ने रियासतों को एकीकरण किया तब 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश का निर्माण हुआ। मध्यप्रदेश को 4 घटक राज्यों सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर बनाया गया था और पंडित रवि शंकर शुक्ल इसके पहले मुख्यमंत्री चुने गए थे।  

राज्य पुनर्गठन आयोग के पास चार राज्यों को मिलाकर मध्यप्रदेश को उत्तर प्रदेश जैसा बड़ा राज्य बनाने की जिम्मेदारी थी। ऐसा करने में आयोग के सामने कई कठनाईयां भी आईं, क्योंकि एक तो इन राज्यों की अपनी अलग पहचान और विधानसभा थी और दूसरी इन राज्यों के रियासतदार भी इसके विरोध में थे। ऐसे में आयोग को इससे जुड़े सभी समझौतों को पूरा करने में 34 महीने का समय लग गया था। 

पंडित नेहरु की इच्छा पर भोपाल को बनाया गया था राजधानी

प्रदेश की राजधानी को लेकर उस समय राज्य के बड़े शहरों इंदौर, ग्वालियर, भोपाल व जबलपुर के बीच झगड़ा था। राजधानी के लिए सबसे पहला नाम गवालियर का नाम सामने आया फिर इंदौर का। वहीं राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम आगे किया। अंत में मुहर लगी भोपाल के नाम पर क्योंकि यहां सरकारी कामकाज के लिए अन्य शहरों की तुलना में भवनों की संख्या ज्यादा थी। कहा जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु भी भोपाल को देश के ह्रदय प्रदेश की राजधानी बनाने के इच्छुक थे उनकी इच्छानुसार ही भोपाल का चयन राजधानी के रुप में किया गया।

इसके अलावा भोपाल को राजधानी बनाने की एक और बड़ी वजह थी यहां के नवाब जो कि भारत से संबंध ही नहीं रखना चाहते थे। वह हैदराबाद के निजाम के साथ होकर भारत का विरोध भी करने लगे थे। तब देश के मध्य स्थान में देश विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए भोपाल को राज्य की राजधानी बनाने की निर्णय लिया गया था। बता दें कि राजधानी बनने के लगभग 16 साल बाद भोपाल को जिला बना। इससे पहले ये सिहोर जिले का हिस्सा था। 

44 साल फिर से हुआ मध्यप्रदेश का पुनर्गठन, छत्तीसगढ़ का हुआ निर्माण

निर्माण के 44 साल बाद 1 नवंबर सन 2000 को एक बार फिर मध्यप्रदेश का पुनर्गठन हुआ। इसमें छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया। इस तरह छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना और अजीत जोगी इसके नए नवेले राज्य के पहले मुख्यमंत्री। इस नए नवेले राज्य का नाम छत्तीसगढ़ रखने के पीछे भी दिलचस्प किस्सा जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जिस समय छत्तीसगढ़ का गठन हुआ उस समय यहां 36 गढ़ हुआ करते थे। यहां गढ़ों से आशय रियासतों की जमीदारी से था। मध्यप्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ भी 1 नवंबर को ही अपना स्थापना दिवस मनाता है। 

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