सरोगेट मदर को भी है मैटरनिटी लीव का अधिकार
शिक्षिका को राहत, कोर्ट ने कहा सरोगेट मदर को भी है मैटरनिटी लीव का अधिकार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि प्राकृतिक मां की ही तरह सरोगेट मां को भी प्रसूति अवकाश का पूरा अधिकार है। न्या. सुनील शुक्रे और न्या. अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने कहा कि सरोगेट मां को प्रसूति अवकाश से केवल इसलिए वंचित नहीं रखा जा सकता, क्योंकि उसने स्वयं प्रसूति नहीं की है। सरोेगेसी से मां बनने के बाद भी बच्चे की देखभाल के लिए महिला को उतनी ही मेहनत करनी होती है, जितना सामान्य परिस्थितियों में करनी होती है।
वेतन देने से मना किया
अमरावती निवासी एक शिक्षिका ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह मुद्दा उठाया था। शिक्षिका सरोगेसी से मां बनी है। उसने 11 अगस्त 2015 से 10 फरवरी 2016 के बीच प्रसूति अवकाश लिया था, लेकिन शिक्षाधिकारी ने उसके सरोगेट मां होने के कारण अवकाश समय का वेतन अदा करने से साफ इंकार कर दिया। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने माना कि प्राकृतिक और सरोगेट दोनों प्रकार से मां बनने के के मामलों में महिला को पहले दिन से बच्चे के लालन-पालन में जुटना होता है।
यह रवैया आश्चर्यजनक
कोर्ट ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में बड़े पद पर पदस्थ शिक्षाधिकारी को इसका अहसास होना चाहिए। शिक्षाधिकारी का इस प्रकार का रवैया आर्श्चयजनक है। हाईकोर्ट ने शिक्षिका को प्रसूति अवकाशकाल का वेतन अदा करने के आदेश शिक्षाधिकारी को दिए हैं। मामले में याचिकाकर्ता शिक्षिका की ओर से एड. नरेश साबू और स्कूल की ओर से एड. कुलदीप महल्ले ने पक्ष रखा।