विवादित जमीन सरकार के पास जमा करें, अन्यथा आंदोलन
गड़चिरोली विवादित जमीन सरकार के पास जमा करें, अन्यथा आंदोलन
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। जिला मुख्यालय से सटे ग्राम खरपुंड़ी के भूखंड क्रमांक 50 की जमीन कुछ व्यक्तियों को सरकार ने खेती के लिए प्रदान की थी। मात्र कुछ भूमाफियाओं ने संबंधित लाभार्थियों से जमीन की खरीदी कर उसे अकृषक करने के लिए उपविभागीय अधिकारी कार्यालय में आवेदन पेश किया। यह प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही भूमाफियाओं ने जमीन पर अवैध रूप से प्लाट की रचना कर उसकी बिक्री करना भी शुरू कर दिया है। इस कारण इस मामले की कड़ी जांच करते हुए जमीन के लाभार्थी, भूमाफिया और संबंधित कार्यालय के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवई करते हुए जमीन को सरकार जमा करने की मांग खरपुुंड़ी गांव के नागरिकों ने पत्र परिषद के माध्यम से की है। पत्र परिषद में भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन के जिलाध्यक्ष विजय खरवडे, खरपुंड़ी की सरपंचा ज्योत्सना म्हशाखेत्री, उपसरपंच ऋषि नैताम, सदस्य दिनेश आकरे, बालू मेश्राम, रामचंद्र ढोंगे, अनुरथ निलेकार, संतोष दुपारे, धनपाल कार, फुलचंद वाघाडे समेत अन्य नागरिक उपस्थित थे। उक्त मांग मंजूर नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी भी नागरिकों ने दी।
ग्रामीणों ने पत्रकारों को बताया कि, खरपुंड़ी ग्रापं के तहत आने वाल भूमापन क्रमांक 50 की 2.10 आर. जी. जमीन सरकार ने वर्ष 1958 में आनंदराव जागोबा शेंडे परिवार को खेती के लिए प्रदान की थी। मात्र संबंधित लाभार्थी ने अब तक इस जमीन में खेती नहीं की। इसकी जानकारी होने के बावजूद जमीन को भोग वर्ग 1 में तब्दिल कर उसकी बिक्री की गयी। यह जमीन अनिल मधुकर धाईत और अश्विनी अनिल धाईत के नाम से की गयी। इसके बाद इसी जमीन को अकृषक करने के लिए उपविभागीय अधिकारी कार्यालय में आवेदन पेश किया गया। इस आवेदन पर सुनवाई होने के पूर्व ही जमीन में अवैध रूप से प्लाॅट की रचना कर इसकी बिक्री शुरू की गयी है। यहां बता दें कि, खरपुंड़ी गांव के कुल 17 किसानों की इसी तरह की जमीन को सरकार जमा करने के आदेश एसडीएम कार्यालय ने जारी किये हैं। वहीं दूसरी ओर खेती के लिए प्रदान की गयी जमीन को अवैध रूप से अकृषक करने का प्रयास कर इसकी बिक्री शुरू की गयी है। बावजूद इसके यह जमीन सरकार जमा करने की कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही है। इस प्रक्रिया में संबंधित कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत होने का आरोप भी नागरिकों ने लगाया है। इस मामले की गहनता से जांच कर संबंधित जमीन सरकार जमा करने की मांग की गयी।