बारिश से सोयाबीन, मूंग, कपास की फसल चौपट, लागत निकलना भी मुश्किल
छिंदवाड़ा बारिश से सोयाबीन, मूंग, कपास की फसल चौपट, लागत निकलना भी मुश्किल
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। सितंबर माह में बारिश थमने के बाद अब खेतों में जमीन सूख रही है। किसान खेतों में फसलों की कटाई कर रहे हैं। अतिवृष्टि के कारण हालात यह है कि खेत में मजदूर घास के बीच सोयाबीन के पौधे खोजकर काट रहे हैं। किसी पौधे में चार फल्ली है तो किसी में ८-१०। किसानों का कहना है कि एक एकड़ में ४० किलो सोयाबीन भी निकलना मुश्किल है। इससे बीज की रकम भी नहीं निकलेगी। किसान प्रशासन की सर्वे रिपोर्ट से नाराज हैं। जिले में इस साल अब तक १५९६.३ मिमी बारिश रिकार्ड की गई जबकि जिले की औसत वर्षा का आंकड़ा १०५९.० है। इस लिहाज से लगभग ६० प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। सबसे अहम बात यह है कि इस सीजन में लगातार बादलों की मौजूदगी और तेज बारिश के कारण खेतों में लगातार पानी भरा रहा। इससे मक्का और सोयाबीन की फसल पर विपरीत असर पड़ा। हालात यह बन गए कि कई खेतों में ५० फीसदी से अधिक पौधे पानी में गल गए। बची फसल धूप की कमी के कारण बढ़ नहीं पाई। अब जब खेतों में फसल की कटाई शुरू हुई तो किसानों की आंखों से आंसू छलकने लगे हैं।
सर्वे में सात तहसील का नाम नहीं
अतिवृष्टि से खराब फसलों की सर्वे रिपोर्ट में जिले की महज छह तहसील को शामिल किया गया है। जबकि हर तहसील में जिले की औसत बारिश से कहीं ज्यादा बारिश हुई है। मोहखेड़ तहसील में २०९३.२ मिमी, तामिया में १८४३.० मिमी और बिछुआ में १७८०.१ मिमी बारिश की गई। मोहखेड़ विकासखंड के इकलबिहरी सर्किल में सोयाबीन की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। ज्यादा बारिश से मक्का के भुट्टों का आकार भी छोटा ही रह गया है। सौंसर और पांढुर्ना तहसील में कपास की फसल प्रभावित हुई है।
उत्पादन आधे से भी कम होगा
कामठी के किसान शैलेष भादे का कहना है कि इस साल मक्का का उत्पादन आधे से भी कम होगा। मक्का के दाम सही नहीं रहे तो किसानों की लागत भी नहीं निकल पाएगी। खापाकला के नरेश पटेल ने कहा कि इस साल सोयाबीन का बीज १२० से १३५ रुपए किलो था। एक एकड़ में ३६०० से ४०५० रुपए का बीज ३० किलो बीज लगाया गया। कई जगह ऐसे हालात हो गए हैं कि प्रति एकड़ ३० से ४० किलो भी सोयाबीन निकल जाए तो बहुत है।
बीमा कंपनी ने नहीं किया मुआयना
रैयतवाड़ी के किसान खूबसिंह पटेल ने कहा कि उन्होंने अगस्त माह में जब अतिवृष्टि से खेतों में पानी भर गया तब फसल बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर और प्रभारी अधिकारी के नंबर पर कई बार काल किया। किसी ने भी कॉल रिसीव नहीं किया। पटवारी और पंचायत सचिव को भी सूचना दी गई लेकिन किसी ने भी खेत में आकर मुआयना नहीं किया। झिरलिंगा के किसान नरेश ठाकुर ने कहा कि सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। ऐसे में किसान सडक़ पर उतरकर आंदोलन करेगा।
अतिवृष्टि से खराब फसलों की सर्वे रिपोर्ट
तहसील गांव रकबा(हे.) किसान
पांढुर्ना ११२ ४७९ १२००
सौंसर ७४ २१२ ७७६
बिछुआ ४१ १६९ ६७८
अमरवाड़ा ८ ३७ ९२
हर्रई २ ०.७ २
परासिया १ ९८ २२८
इनका कहना है...
सरकार ने राजस्व संहिता के अनुसार फसलों के नुकसान की राशि जारी की है। फसल बीमा योजना की राशि फसल कटाई प्रयोग के परिणाम अनुसार तय होगी। बीमा कंपनी की क्षतिपूर्ति राशि जारी होने में समय लग सकता है।
-जितेंद्र कुमार सिंह, उपसंचालक कृषि छिंदवाड़ा