एसएनसीयू... ८ माह में १ हजार ९८६ शिशु हुए भर्ती, २७७ ने तोड़ा दम
छिंदवाड़ा एसएनसीयू... ८ माह में १ हजार ९८६ शिशु हुए भर्ती, २७७ ने तोड़ा दम
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में अप्रैल माह से अभी तक १ हजार ९८६ अतिगंभीर शिशुओं को भर्ती किया गया। इलाज के दौरान इनमें से २७७ नवजातों ने दम तोड़ दिया है। यह आंकड़ा एनएचएम के निर्धारित मृत्युदर से लगभग डेढ़ से दो गुना अधिक है। हालांकि विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने १ हजार ७०९ गंभीर बच्चों को स्वस्थ कर घर भी भेजा है।
एसएनसीयू में वजन कम, कम दिन, सांस लेने में तकलीफ, ब्रेन की बीमारी, इंफेक्शन, विकृति और पीलिया की समस्या से जूझ रहे गंभीर नवजातों को भर्ती कर इलाज दिया जाता है। पिछले आठ माह में इसी तरह के लगभग दो हजार बच्चों को भर्ती कर इलाज दिया गया है। शिशु रोग विशेषज्ञों की माने तो जिस गंभीर परिस्थितियों में नवजात यूनिट में भर्ती होते है उन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया जाता है, लेकिन कई बार बच्चों को बचाना संभव नहीं हो पाता।
यूनिट का डेथ रेट १.५ प्रतिशत अधिक-
नेशनल हेल्थ मिशन के निर्धारित मापदंड के मुताबिक यूनिट में शिशु मृत्युदर १० से १२ प्रतिशत होनी चाहिए। एसएनसीयू में भर्ती बच्चों की मौत का आंकड़ा १३.५ से १४ प्रतिशत औसत रहा है। इस आधार पर एसएनसीयू में शिशुओं की डेथ रेट १.५ से २ प्रतिशत अधिक है। जिसमें सुधार के लिए भोपाल के अधिकारियों द्वारा पिछली बैठकों में कहा गया है।
५ डॉक्टर और २० ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ चौबीस घंटे तैनात-
एसएनसीयू में पांच शिशु रोग विशेषज्ञ और बीस ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ का अमला तैनात है। यूनिट में वजन कम, कम दिन, सांस लेने में तकलीफ, ब्रेन की बीमारी, इंफेक्शन, विकृति और पीलिया की समस्या से जूझ रहे गंभीर नवजातों की सेवा में चौबीस घंटे स्टाफ तैनात होता है। ब्लॉकस्तर और निजी अस्पताल में जन्में गंभीर बच्चों को भी रेफर कर एसएनसीयू भेजा जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी-
जन्म के साथ ही गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों को यूनिट में भर्ती किया जाता है। पूरे स्टाफ का प्रयास होता है कि हर बच्चा स्वस्थ होकर घर लौटे। अतिगंभीर अवस्था में भर्ती हुए २७७ शिशुओं को नहीं बचाया जा सका। डेथ रेट को कम करने लगातार प्रयास किए जा रहे है।
- डॉ.अंशुल लाम्बा, प्रभारी, एसएनसीयू