सिरोंचा के ‘कोलामार्का’ को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा

गड़चिरोली सिरोंचा के ‘कोलामार्का’ को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-07 09:49 GMT
सिरोंचा के ‘कोलामार्का’ को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। राज्य के अंतिम छोर पर बसे आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले के सिरोंचा तहसील में कोलामार्का परिसर में जंगली भैंसों के अस्तित्व को देखा गया है। इन भैंसों का संवर्धन करने का कार्य सिरोंचा वनविभाग द्वारा निरंतर रूप से किया जा रहा है। इस कार्य में अब राज्य सरकार ने भी अपनी सहमती दर्शायी है। सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में मुंबई में आयोजित राज्य वन्यजीव मंडल की बैठक में कोलामार्का क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया है। अब तीव्र गति से विलुप्त हो रहे जंगली भैंसों का संवर्धन किया जा सकेगा। 

बता दें कि, सिरोंचा तहसील नदियों से घिरी हुई है। नदी पार छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्य सटा हुआ है। इसी परिसर में काेलामार्का जंगल बसा हुआ है। करीब 180.72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के कोलामार्का जंगल परिसर में जंगली भैंसों को देखा गया। इस क्षेत्र में भैंसों के कुल 3 झुंड होकर राज्य सरकार ने इसके पूर्व ही इस क्षेत्र को जंगली भैंसों के लिए संरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषणा कर रखी है। इंद्रावती नदी परिसर में पाए गये इन भैंसों के संवर्धन के लिए सिरोंचा वनविभाग ने एक रिपोर्ट भी तैयार की। इस रिपोर्ट को मंजूरी प्रदान करने राज्य सरकार की ओर प्रेषित किया गया था।

वनविभाग के इस प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मंजूरी प्रदान की है। साथ ही कोलामार्का क्षेत्र को अब वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया है। उल्लेखनीय है कि, सिरोंचा वनविभाग द्वारा जंगली भैंसों का संवर्धन कार्य नियमित रूप से किया जा रहा है। जंगलों में घात लगाना, ट्रैप कैमरों से भैंसों की तस्वीर खींचना और जीपीएस मैपिंग के माध्यम से भैंसों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। अब तक इस वनक्षेत्र को अभयारण्य का दर्जा नहीं मिलने के कारण इसका विकास नहीं हो पाया था। लेकिन अब राज्य सरकार ने इसे वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा देने से कोलामार्का के जंगली भैंसों की सुरक्षा और उनका संवर्धन किया जा सकेगा।  
 

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