पहले बसाया और अब अतिक्रमण के नाम पर खुद ही उजाड़ दिए आशियाने

गडचिरोली पहले बसाया और अब अतिक्रमण के नाम पर खुद ही उजाड़ दिए आशियाने

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-20 09:59 GMT
पहले बसाया और अब अतिक्रमण के नाम पर खुद ही उजाड़ दिए आशियाने

डिजिटल डेस्क, सिरोंचा (गड़चिरोली)।   वर्ष 1986 में आयी बाढ़ के बाद सिरोंचा के तत्कालीन तहसीलदार ने तहसील के नगरम गांव के नागरिकों का नगर पंचायत के तहत आने वाले धर्मपुरी प्रभाग में पुनर्वास किया। लेकिन अब वर्तमान में नपं के अधिकारी पुनर्वसित लोगों की झोपड़ियों को अतिक्रमित बताकर उन्हें हटा रहे हैंै। नपं की अतिक्रमण हटाव मुहिम के चलते अब पुनर्वसित लोगों पर बेघर होने की नौबत आन पड़ी है। यह मुहिम तत्काल बंद कर लोगांे को रहने के लिए धर्मपुरी की जगह उपलब्ध करवाने की मांग अन्यायग्रस्त नागरिकों ने तहसीलदार को सौंपे ज्ञापन से की है। सोमवार को पुनर्वसित नागरिकों ने एकजुटता दिखाते हुए सिरोंचा के तहसील कार्यालय पर दस्तक दी।

 साथ ही अतिक्रमण न हटाने के संदर्भ में तहसीलदार शिकतोडे से चर्चा की। अपने ज्ञापन में नागरिकों ने बताया कि, वर्ष 1986 में सिरोंचा तहसील वासियों को बाढ़ का सामना करना पड़ा । नगरम गांव गोदावरी तट पर बसा होने के कारण हर वर्ष लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता था। इसी कारण तत्कालीन तहसीलदार ने वर्ष 1986 में ही गांव के नागरिकों का सिरोंचा नपं के तहत आने वाले धर्मपुरी प्रभाग में पुनर्वसन किया था। वर्तमान में धर्मपुरी प्रभाग के सर्वे क्रमांक 100, 380, 388, 411, 412 और 413 में बाढ़ग्रस्त नागरिक निवासरत थे। लेकिन नगर पंचायत प्रशासन ने उक्त सर्वे क्रमांक के नागरिकों को अतिक्रमित बताकर अपने मकान हटाने का नोटिस जारी किया।     जब नागरिकों द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो नपं प्रशासन ने गुरुवार और शुक्रवार को लगातार दो दिनों तक अतिक्रमण हटाव मुहिम चलाकर पुनर्वसित लोगों की झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया। वर्तमान में पुनर्वसित नागरिक अब पूरी तरह बेघर हो गये हंै। उनके पास रहने के लिए मकान नहीं होने से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रभाग में पुनर्वसित लोगों के अलावा अन्य लोगांे ने भी अपने मकान बनाए हंै। लेकिन नपं प्रशासन ने केवल पुनर्वसित लोगों की झोपड़ियों को हटाने की कार्रवाई की। अतिक्रमण हटाव मुहिम पूरी तरह अन्यायकार होकर संबंधित भूमि लौटाने की मांग ज्ञापन के माध्यम से की गयी। इस समय धर्मपुरी के अन्यायग्रस्त नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।  

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