राजभवन से बाहर नहीं निकला आरक्षण विधेयक, इधर जीएडी ने शुरू की आरक्षण रोस्टर की तैयारी
रायपुर राजभवन से बाहर नहीं निकला आरक्षण विधेयक, इधर जीएडी ने शुरू की आरक्षण रोस्टर की तैयारी
डिजिटल डेस्क, रायपुर। विधानसभा से पारित आरक्षण विधेयक भले ही राज्यपाल के पास अटक गया हो लेकिन सरकार ने इसे लागू करने की तैयारी तेज कर दी है। आरक्षण रोस्टर को नये सिरे से बनाने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने पांच अफसरों की एक समिति बना दी है। जीएडी के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने समिति से जल्द अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। आरक्षण विधेयक के राजभवन से जल्द बाहर निकालने बुधवार देर शाम छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज सोहन पोटाई धड़े का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल अनुसूईया उइके से मिला। समाज के कार्यकारी अध्यक्ष बी.एस.रावटे ने राज्यपाल को बताया कि, विधानसभा में पारित विधेयक में आदिवासी समाज के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। यह जनसंख्या के आधार पर दिया गया है जो कि जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है। श्री रावटे के अनुसार केंद्र सरकार ने इसी साल 12 अन्य जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर लिया है। इन जातियों का सर्वे नहीं हुआ है। फिर भी इनके 10 प्रतिशत तक होने का अनुमान है। अगर जनसंख्या का अनुपात मानें तो आदिवासी समाज को 10 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है। ऐसे में इन 12 जातियों का क्वांंटिफायबल डाटा इकट्ठा कर आरक्षण प्रतिशत बढ़ाया जाए।
टकराव बढऩे के आसार
नये आरक्षण विधेयकों पर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढऩे के आसार बनते दिख रहे हैं। पांच दिन बाद भी राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। इस बीच खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने आदिवासी समाज के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर, उनसे आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर का आग्रह किया। सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने मंगलवार को जीएडी के सचिव को बुलाकर चर्चा की थी और पूछा था कि इस कानून को कोई अदालतों में चुनौती दे तो उससे निपटने के लिए सरकार के पास क्या इंतजाम हैं। इसका एक लाइन का यह जवाब दिया गया कि ’महाधिवक्ता का कार्यालय ऐसी किसी चुनौती से निपटने को तैयार है।’ इधर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने यह सवाल किया है कि ‘जिस विधेयक को लाने के लिये विशेष सत्र बुलाने की सहमति राज्यपाल की भी थी तथा उन्होंने उसी दिन हस्ताक्षर की बात कही थी फिर इसमें विलंब क्यों हो रहा है?’ उन्होंने कहा, इसके पहले भी जब कृषि संशोधन विधेयक पारित हुआ था तब भी हस्ताक्षर करने में विलंब हुआ था। इस देरी से गलत संदेश जनता के बीच जा रहा जो राजभवन की गरिमा के विपरीत है।