जुलाई से चल रही थी प्राध्यापकों से वसूली
नागपुर यूनिवर्सिटी जुलाई से चल रही थी प्राध्यापकों से वसूली
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर विश्वविद्यालय जो कभी अपने विशेष अध्ययन और रिसर्च वर्क के लिए जाना जाता है, इन दिनों लगातार विवादों के घेरे में है। रोज नए विवाद सामने आ रहे हैं। विवाद भी ऐसे, जिन्हें अब तक अपराध जगत में ही सुनते आए हैं। कभी यौन शोषण की शिकायतें, तो कभी प्राध्यापकों से ही अवैध वसूली। यह सभी शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को स्तब्ध करने वाली बातें हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल में 7 प्राध्यापकों को यौन शोषण के झूठे मामले में फंसा कर उनसे 15 लाख रुपए वसूलने के आरोपी जनसंपर्क अधिकारी डॉ. धर्मेश धवनकर के खिलाफ पीड़ित प्राध्यापकों ने नए खुलासे किए हैं। हालांकि विवि ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।
प्राध्यापकों के अनुसार ब्लैकमेलिंग का यह खेल बीते जुलाई माह से चल रहा है। डॉ. धवनकर ने उन्हें स्वतंत्र रूप से संपर्क किया और शुरुआत में हर एक प्राध्यापक से 10 लाख रुपए मांगे। धीरे-धीरे इस रकम पर मोल-भाव होता रहा। पहले रकम 7 लाख मांगी गई और अंतत: प्रत्येक प्राध्यापक से 5 लाख रुपए पर डील तय हुई। उन्होंने बताया कि उक्त मामले को पहले हम विवि के जिम्मेदारों तक अपने स्तर पर ले गए थे, जहां से उन्होंने इसको दबाने का प्रयास किया। जब हमें लगा सबकी मिलीभगत है, तो हमने एकजुट होकर इसकी शिकायत की। पूरे मामले में जब हमने डॉ. धवनकर और कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी से उनका पक्ष जानना चाहा, तो उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली। किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं थी। कुलगुरु ने कहा कि इस मामले को सोमवार को देखेंगे फिर बात करेंगे।
ऐसे हुआ खुलासा : शिकायतकर्ताओं में से एक समाजशास्त्र विभाग के विभाग प्रमुख डॉ. अशोक बोरकर ने बताया कि बीते जुलाई माह से ही यह ब्लैकमेलिंग का खेल चल रहा था। डॉ. धवनकर ने इन प्राध्यापकों को स्वतंत्र रूप से पकड़ा और उनके खिलाफ यौन शोषण की शिकायत होने की बात कही। कई दिनों तक फोन करके और मुलाकात करने दबाव बनाया गया। प्राध्यापकों को लगा कि यह सिर्फ उनके साथ ही हुआ है, लेकिन एक दिन समूह में बैठक कर सभी प्राध्यापकों ने इसकी चर्चा की, तो पता चला कि डॉ. धवनकर ने कई लोगों को अपना शिकार बनाया है। शिकायतकर्ताओं ने अपनी शिकायत में लिखा है कि कुछ प्राध्यापकों ने डॉ. धवनकर को पैसे देने के बाद विवि की कथित तथ्य शोधक समिति की रिपोर्ट को लेकर डॉ. धवनकर से पूछताछ की, तो वो गोल-मोल जवाब देने लगे।
फाइव स्टार होटल में पार्टी देनी पड़ेगी : शिकायतकर्ताओं के अनुसार डॉ. धवनकर ने उन्हें फंसाने के लिए मीठी-मीठी बातें कीं। कहा तुम मेरे मित्र हो, मैं तुमसे पैसे नहीं लूंगा। तुम लोगों को बचाना तो मेरा कर्तव्य है, लेकिन जांच समिति के सदस्यों और वकीलों को पैसे खिलाने पड़ेंगे। इतना ही नहीं, इन वकीलों को गोंडवाना क्लब या रेडिसन ब्लू जैसे फाइव स्टार होटल में पार्टी भी देनी पड़ेगी। मैं अपनी जेब से तुम्हारे लिए पैसे भी खर्च कर सकता हूं।
कोई शिकायत हुई ही नहीं : डॉ. धवनकर ने प्राध्यापकों को प्रमोशन न मिलने और करियर खत्म होने का डर दिखाया। साथ ही विवि के चर्चित हिंदी विभागाध्यक्ष के खिलाफ प्रताड़ना के मामले का हवाला देकर भी दबाव बनाने का प्रयास किया। शिकायतकर्ताओं के अनुसार कुछ समय पूर्व नागपुर विवि के हिंदी विभागाध्यक्ष पर दो पीएचडी छात्राओं द्वारा प्रताड़ना के आरोप लगाए गए। इस मामले ने खूब तूल पकड़ा। विवि की भारी बदनामी भी हुई, लेकिन डॉ. धवनकर ने इस आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश की। उन्होंने ऐसे प्राध्यापकों को टार्गेट किया, जिनके आगे चल कर प्रमोशन होने वाले हैं। उन्हें स्वतंत्र रूप से फोन करके और निजी मुलाकात में डर दिखाया कि यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगने के बाद इन प्राध्यापकों का करियर बर्बाद हो जाएगा। बेहतर है कि ये प्राध्यापक उन्हें पैसे देकर मामले को रफा-दफा कर लें, लेकिन इस मामले में विवि में संबंधित प्राध्यापकों की कोई शिकायत नहीं हुई। विवि कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे का कहना है कि संबंधित प्राध्यापकों के खिलाफ यौन शोषण या अन्य किसी भी मामले की कोई शिकायत नहीं आई है।