चंद्रपुर के वर्धा नदी किनारे मिले दुर्लभ फुल्गुराइट
चंद्रपुर चंद्रपुर के वर्धा नदी किनारे मिले दुर्लभ फुल्गुराइट
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर । चंद्रपुर जिला खनिज, धातु तथा जिवाश्म से समृद्ध है। यहां सोना, तांबा तथा मूल्यवान धातु मिले हंै। इसमें अब फुल्गुुराइट (विजाश्म) मिले हंै। ऐसी जानकारी भूशास्त्र अभ्यासक प्रा. सुरेश चोपणे ने दी। बरसात में गाज गिरने की घटनाएं होती हैं, जिससे कई बार मानव व वन्यजीव की मृत्यु होती। लेकिन गाज गिरने से फुल्गुराइट नाम का मूल्यवान पत्थर तैयार होता। इस संदर्भ में ज्यादातर लोगों को पता नहीं। यह विजाश्म पत्थर केवल रेत में तैयार होते हैं। नदी-नाले में गाज गिरने पर वह जमीन के भीतर तैयार होता है। किसी को दिखाई नहीं देता। कई वर्ष बाद यदि पत्थर दिखाई दिया तो भी यह मूल्यवान पत्थर को कोई पहचान नहीं सकता। वर्धा नदी किनारे ऐसे कई पत्थर दिखाई दिए हैं। विजाश्म तथा गाज का पत्थर के रूप में पहचाने जाने वाला यह पत्थर गाज गिरकर तैयार होता है। गाज में 100 मिलीयन वोल्ट और 25000 डिग्री तापमान रहता। जिससे जमीन के सभी खनिज पिघलकर कांच तथा नया अश्म आकार लेते। जिस जमीन पर रेत, खनिज तथा रेत मिश्रित चुनखड़ी रहती वहां अच्छा विजाश्म तैयार होता। यह पत्थर पर पेड़ के आकार तथा रेत के गोल, लंबे आकार जैसा होता है। विश्व में अब तक 16 फीट लंबे तथा 1 फीट चौड़ा फुल्गुराइट मिला है।
ऊर्जा व शक्ति से भरा होता है पत्थर
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो विजाश्म से इस दौर का माैसम कैसा था। यह पता चलता है। इसके माध्यम से नए खनिज व विविध आकार के मूल्यवान खनिज मिलते हंै। दुनिया के अलग-अलग देश में फुल्गुराइट संकलित किए जाते हंै, और महंगे दामों में बेचे जाते हंै। माना जाता है, कि गाज के शक्ति से तैयार हुआ पत्थर ऊर्जा व शक्ति के साथ चमत्कारिक माना जाता है। कहा जाता है, कि इस पत्थर से शारीिरक व मानसिक रोग दूर होते हैं। ऐसी लोगों में मान्यता है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से इस पत्थर में चमत्कारिक शक्ति नहीं है। पर्यावरण व भूशास्त्र अभ्यासक प्रा.सुरेश चोपने ने बताया कि ऐसे पत्थर रेगिस्थान में मिलते हंै। अगर अपने ग्रामीण क्षेत्र के नदी-नाले शोध व अभ्यास करने पर यहां भी ऐसे पत्थर मिल सकते हंै।