चंद्रपुर जिले के 1.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की बुआई
सरसों उत्पादन को मिल रहा प्रोत्साहन चंद्रपुर जिले के 1.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की बुआई
सुरेश वर्मा, चंद्रपुर। जिले की सभी 15 तहसीलों के किसानों ने रबी की बुआई की है। इस वर्ष कुल 1,26,142.39 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी के फसलों की बुआई किसानों ने की है। जो गत सीजन की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। गत वर्ष की भांति ही इस वर्ष भी दलहन में चना किसानों की पहली पसंद है। भले चंद्रपुर जिले की पहचान औद्योगिक रूप में है किंतु आज भी जिले की आधे से अधिक तहसीलें उद्योगविहीन है इन तहसीलों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। मौसम की बेरुखी, अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि की वजह से अनेक बार किसान आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाते हैं। इस वजह से जो भी किसान खेती कर रहे हैं वे कभी नहीं चाहते कि उनकी संतान भी किसानी करें। इसके बावजूद जिले के मूल, सावली, सिंदेवाही, ब्रह्मपुरी, नागभीड़, पोंभुर्णा, गोंडपिपरी, जिवती उद्योगविहीन तहसीलों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। गत वर्ष किसानों ने कुल 1,14,674.90 हेक्टेयर में रबी के फसलों की बुआई की थी।
रबी के सीजन में मुख्य रूप से दलहन और तिहलन की बुआई करते हंै। इसके अलावा कुछ किसान मिर्च और हरी सब्जियों का भी उत्पादन करते हंै। इस सीजन में 2556 हेक्टेयर में मिर्च और 4521 हेक्टेयर में हरी सब्जियों की बुआई किसानों ने की है। मिर्च और हरी सब्जियों का निकलना शुरू होते ही किसानों की आवक शुरू हो जाती है। इसलिए जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वे नकद फसल के रूप में हरी सब्जियों की अधिक बुआई कर रहे हैं। खड़े आनाज ज्वारी 3441.57 हेक्टेयर, गेहूं 16380, मक्का 748.90 और 1131.68 हेक्टेयर में अन्य खड़े आनाज बुआई की है। दहलन मेंे चना 64,026 हेक्टेयर, लाखोड़ी 26,788.63, मूंग 2228.37, उड़द 1964.38, पोपट 356.84, मोट बरबटी 267.08 और अन्य दलहन 279.28 हेक्टेयर में बोई गई है। रबी में प्रमुख रूप से तिहलन का उत्पादन किया जाता है लेकिन जिले में तिलहन का रकबा कम ही दिखाई दे रहा है। इस सीजन किसानों ने जवस 826.32 हेक्टेयर, तिल 36.96, सूर्यमुखी 88, सरसो 102.30 और अन्य तिलहन 253.31 हेक्टेयर में बोया है।
सरसों की ओर बढ़ा किसानों का रुझान
उत्तर भारतीय प्रदेशों में सरसों के तेल का उपयोग ज्यादातर लोग खाना पकाने के लिए करते हैं, साथ ही सरसों के तेल का सेहत को भी काफी फायदा पहुंचाता है। क्योंकि सरसों का तेल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसलिए रसोई के साथ शरीर की मालिश करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। सरसों के तेल से शरीर की मालिश करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं भी दूर होती हंै। क्योंकि सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होता है। जो स्वास्थ्य और त्वचा के लिहाज से काफी लाभदायक होता है। इसलिए जिला कृषि विभाग की ओर से 2 वर्ष पूर्व वरोरा तहसील के 25 किसानों को प्रशिक्षण देकर सरसों की बुआई के लिए प्रोत्साहित किया था। इस वजह से इस वर्ष सरसों का रकबा बढ़कर 102.30 हेक्टेयर हो गया है। जो तिलहन के रूप में दूसरी सर्वाधिक बुआई की फसल है।