तीन नदियों से घिरे सिरोंचा में ही नहीं मिल रहा शुद्ध पेयजल

जलसंकट तीन नदियों से घिरे सिरोंचा में ही नहीं मिल रहा शुद्ध पेयजल

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-21 08:57 GMT
तीन नदियों से घिरे सिरोंचा में ही नहीं मिल रहा शुद्ध पेयजल

डिजिटल डेस्क, सिरोंचा(गड़चिरोली)।  जिले के आखिरी छोर पर बसा सिरोंचा तहसील, जिसका अधिकांश इलाका नदियों से घिरा हुआ हैं, इस तहसील के बड़े क्षेत्रफल पर प्राणहिता, इंद्रावती व गोदावरी इन नदियों का बहाव जारी है। किंतु इतने बड़े भूभाग पर नदियां होने के के बावजूद कुछ क्षेत्र के लोग आज भी यहां स्राेतों (झरियों)से प्यास बुझाने को मजबूर हंै। इनमें विशेषत: वो क्षेत्र हैं, जहां से सरकार प्राकृतिक संसाधनों के जरिए खासा आय अर्जित करती हैं। लेकिन इस क्षेत्र के लोगों को अाज भी बारह महीने स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हुआ है। लोग मजबूरन समीपस्थ नालों पर स्रोतों के सहारे प्यास बुझाते है। यह चित्र तहसील के मादाराम, कोप्पेला, कोर्ला, पातागुड़म, सोमनपल्ली, एडसिली, कर्जेल्ली, किष्टय्यापल्ली, चुटूर, परसेवाड़ा, रायगुड़म, पेंडियाला आदि गांवों में आसानी देखे जा सकते हंै। 

बता दें कि, तहसील के इस क्षेत्र में अमुनन शीतकाल के शुरुआती दिनों से ही सार्वजनिक बोरवेल और कुओं का जलस्तर घटने लगता है। जिसके चलते गर्मियों के दिन आरंभ होने के पूर्व ही ग्रामीणों को जलसंकट का सामना करना पड़ता है। इस कालावधि में क्षेत्र के बोरवेल और कुएं सफेद हाथी बन जाते हैं। इनका इस्तेमाल करना मानो रेत से सुई ढूंढ लाने जैसा है। मजबूरन लोग समीपस्थ नालों पर खुदाई कर झरिया के पानी से प्यास बुझाते हैं। हालांकि, सरकार इन क्षेत्रों में सार्वजनिक बोरवेल खोदकर सुविधा मुहैया कराने की दिशा में प्रयासरत है। किंतु जब इनमें से पानी न निकले तो ये प्रयास बौने साबित होने लगते हंै। वहीं दूसरा पहलू यह भी हैं कि इन क्षेत्रों में अन्य विकल्प न होने के चलते सरकार भी इस समस्या के सामने नतमस्तक होती नजर आ रहीं है। यह कहने में अतिशियोक्ति नहीं होना चाहिए कि शायद प्रशासन व सरकार के पास यह जानकारी भी नहीं होगी कि, तहसील में मौजूद बोरवेल में से कितने बोरवेल चालू है। जानकारी के अनुसार तहसील के अधिकांश क्षेत्रों के बोरवेल का पानी लौहयुक्त होकर यह पानी पीने से स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम होने की संभावना जताई जा रहीं है। फलस्वरूप आज भी तहसील के ग्रामीणों को शीतकाल के दिनों में भी भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता है। 

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