सदन में जनप्रतिनिधि मौन, 82 नगरसेवकों ने नहीं पूछा एक भी सवाल
जनता की आवाज पर सवाल सदन में जनप्रतिनिधि मौन, 82 नगरसेवकों ने नहीं पूछा एक भी सवाल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लाेकतंत्र में सरल भाषा में कहें, तो जनप्रतिनिधि ‘जनता की आवाज’ हैं। सदन चाहे कोई भी हो, जनप्रतिनिधि को सदन में जनता की आवाज को बुलंद करना चाहिए। वे आवाज उठा कर शासन-प्रशासन को समस्या का समाधान करने के लिए मजबूर करते हैं, लेकिन यही जनप्रतिनिधि सदन में मौन साध लें, तो अपेक्षा किससे करें। कुछ इसी तरह की स्थिति नागपुर महानगर पालिका में जनप्रतिनिधियों की है। मनपा में 151 नगरसेवकों को चुनकर जनता ने भेजा है। उनमें से 82 नगरसेवकों ने साढ़े चार साल यानी इस पूरे कार्यकाल सदन में मौन साधे रखा, जबकि उनके वार्ड में लोगों की अनगिनत समस्याएं हैं, लोग इन जनप्रतिनिधियों के पास दौड़ते-दौड़ते थक जाते हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है। इन्होंने शहर की बात तो दूर, प्रभाग की समस्या तक नहीं उठाई। एक साधाराण सवाल तक नहीं किया। सिर्फ 69 नगरसेवकों ने जनसमस्या पर अपनी आवाज मुखर की। सत्तापक्ष नगरसेवक प्रवीण दटके ने सर्वाधिक 56 सवाल पूछे। नेता प्रतिपक्ष तानाजी वनवे दूसरे स्थान पर हैं। उन्होंने 47 सवाल पूछे। कांग्रेस नगरसेवक प्रफुल्ल गुड़धे 42 सवाल पूछ कर तीसरे स्थान पर रहे। सत्तापक्ष भाजपा में एड. धर्मपाल मेश्राम ने 25 सवाल पूछे।
11 नगरसेवकों ने पूछे 10 से ज्यादा प्रश्न
मनपा के ऐसे सिर्फ 11 नगरसेवक हैं, जिन्होंने 10 से ज्यादा सवाल पूछे। बाकी ने एक-दो सवाल पूछकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कांग्रेस के मनोज सांगोले ने 19 प्रश्न और 1 नोटिस दिया। बसपा नगरसेवक जितेंद्र घोड़ेस्वार ने 5 प्रश्न और 5 नोटिस दिए। बसपा के मोहम्मद जमाल ने 11 प्रश्न पूछे। कांग्रेस के संदीप सहारे ने 11 प्रश्न और 5 नोटिस दिए। भाजपा के प्रवीण दटके ने 18 प्रश्न और 38 नोटिस दिए। राकांपा की आभा पांडे ने 8 प्रश्न और 13 नोटिस दिए। नरेंद्र (बाल्या) बोरकर ने 9 प्रश्न और 1 नोटिस दिए। भाजपा के एड. धर्मपाल मेश्राम ने 17 प्रश्न और 8 नोटिस दिए। कांग्रेस के तानाजी वनवे ने 29 प्रश्न और 18 नोटिस दिए। भाजपा के राजेंद्र सोनकुसरे ने 12 प्रश्न और 1 नोटिस दिया और कांग्रेस नगरसेवक प्रफुल्ल गुड़धे ने 32 प्रश्न और 10 नोटिस दिए।
इन्होंने नहीं पूछे सवाल
सदन में सवाल नहीं पूछने वालों के रवैये से इस बात का पता चलता है कि ऐसे जनप्रतिनिधि जनता और अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितने गंभीर हैं। मनपा समिति विभाग से मिली जानकारी अनुसार मनपा में चुनकर गए आधे से ज्यादा नगरसेवक अपने कार्यकाल में खामोश रहे। उन नगरसेवकों में पूर्व महापौर माया इवनाते, पूर्व उपमहापौर मनीषा कोठे, संजय महाजन, संदीप गवई, हरीश दिकोंडवार, शिवसेना गटनेता किशोर कुमेरिया, दर्शनी धवड़, प्रगति पाटील, लता काडगाये, चेतना टांक, सुषमा चौधरी, प्रमिला मथरानी, दिनेश यादव, परसराम मानवटकर, गोपीचंद कुमरे, भाग्यश्री कानतोडे, निरंजना पाटील, शेषराव गोतमारे, मनीषा अतकरे, अभिरुचि राजगिरे, संजय चावरे, वंदना चांदेकर, विरंका भिवगडे, सैयदा बेगम अंसारी, जिशान मुमताज अंसारी, संजय बुर्रेवार, साक्षी राऊत, रश्मि धुर्वे, गार्गी चोपड़ा, अर्चना पाठक, अमर बागडे, रितिका मसराम, वर्षा ठाकरे, शिल्पा धोटे, प्रमोद कौरती, उज्ज्वला शर्मा, लखन येरावार, लक्ष्मी यादव, विजय चुटेले, सुमेधा देशपांडे, नेहा वाघमारे, विद्या कन्हेरे, सरला नायक, शकुंतला पारवे, यशश्री नंदनवार, ज्योति भिसीकर, राजेश घोडपागे, वंदना यंगटवार, सरिता कावरे, वैशाली रोहनकर, दीपक वाडीभस्मे, समिता चकोले, वंदना भुर्रे, मंगला गवरे, रेखा साकोरे, लीला हाथीबेड, विद्या मडावी, भगवान मेंढे, स्वाति आखतकर, रीता मुले, स्नेहल बिहारे, उषा पैलेट, शीतल कांबले, अभय गोटेकर, कल्पना कुंभलकर, रुपाली ठाकुर, वंदना भगत, भारती बुंधे, विशाखा बांते, मनोज गावंडे, नागेश मानकर, माधुरी ठाकरे, मंगला खेकरे, जयश्री वाडीभस्मे, विशाखा मोहोड, मीनाक्षी तेलगोटे, पल्लवी शामकुले, सोनाली कडू आदि शामिल हैं।