केंद्र में सीधी भर्ती का विरोध, रद्द करने राष्ट्रपति से लगाई गुहार

केंद्र में सीधी भर्ती का विरोध, रद्द करने राष्ट्रपति से लगाई गुहार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-25 06:42 GMT
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डिजिटल डेस्क,नागपुर। केंद्र सरकार द्वारा  निजी क्षेत्र के 9 लोगों की केंद्र के विविध विभागों में सीधे सहसचिव पद पर नियुक्ति की है। यह नियुक्ति भर्ती प्रक्रिया के विरोध में है। ऐसी नियुक्ति केंद्रीय लोकसेवा आयोग से चयनित हुए आईएएस अधिकारियों से की जाती है। देश के प्रशासनिक प्रक्रिया में सीधे इस तरह की भर्ती असंवैधानिक है। इस नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की मांग का निवेदन संविधान फाउंडेशन ने राष्ट्रपति को भेजा है।

राष्ट्रपति को भेजे निवेदन में संविधान फाउंडेशन के संस्थापक व पूर्व आईएएस ई.जेड. खोब्रागडे ने कहा कि सहसचिव पद प्रशासनिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। केंद्रीय लोकसेवा आयोग की कठीन परीक्षा से उत्तीर्ण विद्यार्थी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस जैसे विविध सेवाओं में जाते हैं। उन्हें उनके क्षेत्र का प्रशिक्षण दिया जाता है। बाद में विभाग अनुसार नियुक्ति होती है। यह परीक्षा अत्यंत कठिन होती है, जिसकी लाखों परीक्षार्थी वर्षों तक तैयारी कर उत्तीर्ण होते हैं। उनके दीर्घकालीन प्रशासनिक अनुभव के बाद सहसचिव पद मिलता है।

लगभग 16 वर्ष की प्रशासनिक सेवा में कार्यकुशलता, अनुभव, ज्ञान के आधार पर उन्हें पदोन्नती मिलती है। लेकिन केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र में काम करने वाले 9 लोगों को सीधे सहसचिव पद पर नियुक्त किया है। चयनित हुए निजी क्षेत्र के व्यक्ति अच्छे हो सकते हैं, लेकिन उन्हें सरकारी व निमशासकीय विभाग में काम करने का अनुभव व ज्ञान नहीं है। सहसचिव महत्वपूर्ण व नीतिगत निर्णय लेते हैं। इस पद पर काम करने वाले व्यक्ति नियोजन, निर्णय लेने, क्रियान्वयन और सरकारी योजना के काम पर नजर रखने वाले, नीति बनाने और कार्यक्रम तय करने के लिए अत्यंत्र महत्वपूर्ण है। ऐसे में आईएएस अधिकारियों को देने वाले प्रशिक्षण व सिविल सर्विस सेवा से उत्तीर्ण न होने वाले निजी क्षेत्र के व्यक्तियों को सीधे नियुक्ति देना खतरनाक साबित हो सकता है। भविष्य में ऐसी नियुक्ति के कारण सरकारी काम और नीतियों में भी बाधा पहुंचने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

कल्याणकारी राज्य के प्रशासनिक व नीतियों में भी बाधा निर्माण होगी। केंद्र सरकार की यह नियुक्ति का निर्णय अत्यंत गलत और घातक है। प्रशासन का इस तरह निजीकरण करने के सरकारी निर्णय का फाउंडेशन द्वारा विरोध किया जाता है। यह आरक्षण के संवैधानिक स्वरूप को भी घातक है। यह नियुक्ति केंद्र सरकार के संवैधानिक और सरकारी संस्थाओं के काम में हस्तक्षेप करने का भी प्रयास है। यह प्राधिकरण और अधिकारों के खिलाफ षड़यंत्र है। केंद्र के इस निर्णय से देश के प्रशासनिक अधिकारियों में असंतोष है। राष्ट्रपति संघ राज्य प्रमुख और संविधान के संरक्षक है। संविधान फाउंडेशन ने राष्ट्रपति से  केंद्र सरकार के इस निर्णय त्वरित खारिज करने और नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की है। 
 

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