शताब्दी समारोह: PM मोदी ने कहा- गुरुदेव का विजन ही आत्मनिर्भर भारत का सार
शताब्दी समारोह: PM मोदी ने कहा- गुरुदेव का विजन ही आत्मनिर्भर भारत का सार
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा, विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतीय के गौरव की बात है। मेरी लिए भी ये सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। विश्वभारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है। विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है।
पीएम मोदी ने कहा, अनेकों विश्व प्रतिष्ठित कलाकार, साहित्यकार अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, वैज्ञानिक सहित अनेक प्रतिभाएं देने वाली विश्वभारती नूतन भारत के निर्माण के लिए नित नए प्रयास करती रही है। विश्व भारती के ग्रामोदय का काम तो हमेशा से प्रशंसनीय रहे हैं। आपने 2015 में जिस योग डिपार्टमेंट शुरू किया था उसकी भी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। प्रकृति के साथ मिलकर अध्ययन और जीवन दोनों का साक्षात उदाहरण आपका विश्वविद्यालय परिसर है। भारत आज इंटरनेशनल सोलर एलायंज के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। भारत आज पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
Speaking at #VisvaBharati University. Here is my speech. https://t.co/YH17s5BAll
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
पीएम मोदी ने कहा, जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है। लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी। भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था। भक्ति युग में, हिंदुस्तान के हर क्षेत्र, हर इलाके, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में हमारे संतों ने, महंतों ने, आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया।
पीएम मोदी ने कहा, हमारा देश विश्वभारती से निकले हुए संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। भारत आज इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के विषय में विश्व में एक बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। भक्ति का ये विषय तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महान काली भक्त श्रीरामकृष्ण परमहंस की चर्चा ना हो। वो महान संत, जिनके कारण भारत को स्वामी विवेकानंद मिले। स्वामी विवेकानंद भक्ति, ज्ञान और कर्म, तीनों को अपने में समाए हुए थे। उन्होंने भक्ति का दायरा बढ़ाते हुए हर व्यक्ति में दिव्यता को देखना शुरु किया। उन्होंने व्यक्ति और संस्थान के निर्माण पर बल देते हुए कर्म को भी अभिव्यक्ति दी, प्रेरणा दी।
पीएम मोदी ने कहा, भक्ति आंदोलन के सैकड़ों वर्षों के कालखंड के साथ-साथ देश में कर्म आंदोलन भी चला। भारत के लोग गुलामी और साम्राज्यवाद से लड़ रहे थे। चाहे वो छत्रपति शिवाजी हों, महाराणा प्रताप हों, रानी लक्ष्मीबाई हों, कित्तूर की रानी चेनम्मा हों, भगवान बिरसा मुंडा का सशस्त्र संग्राम हो। जब भक्ति और कर्म की धाराएं पुरबहार थी तो उसके साथ-साथ ज्ञान की सरिता का ये नूतन त्रिवेणी संगम, आजादी के आंदोलन की चेतना बन गया था। आजादी की ललक में भाव भक्ति की प्रेरणा भरपूर थी।
पीएम मोदी ने कहा, समय की मांग थी कि ज्ञान के अधिष्ठान पर आजादी की जंग जीतने के लिए वैचारिक आंदोलन भी खड़ा किया जाए और साथ ही उज्ज्वल भावी भारत के निर्माण के लिए नई पीढ़ी को तैयार भी किया जाए। और इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई, कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों ने, विश्वविद्यालयों ने। विश्वभारती, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, एएमयू, लाहौर के नेशल कॉलेज, मैसूर विश्वविद्यालय, त्रिची नेशनल कॉलेज, महात्मा गांधी विद्यापीठ, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय,अन्नामलाई जैसे अनेक संस्थान उसी कालखंड में देश में स्थापित हुए हैं।
पीएम मोदी ने कहा, वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी। विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है। ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है। गुरुदेव जी ने आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने के लिए आत्मशक्ति की बात कही थी।आत्मशक्ति की ऊर्जा से राष्ट्र निर्माण के लिए उन्होंने जो बात कही थी वो आज भी उतनी ही अहम है। उन्होंने कहा था- राष्ट्र का निर्माण एक तरह से अपनी आत्मा की प्राप्ति का ही विस्तार है।
पीएम मोदी ने कहा, भारत की आत्मा, भारत की आत्मनिर्भरता और भारत का आत्मसम्मान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए तो बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था। पौष मेले के साथ वोकल फॉर लोकल का मंत्र हमेशा से जुड़ा रहा है। जब हम आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता की बात कर रहे हैं तो विश्वभारती के छात्र-छात्राएं पौष मेले में आने वाले कलाकारों की कलाकृतियां ऑनलाइन बेचने की व्यवस्था करें। जब हर तरफ आजादी का आंदोलन उफान पर था, तब बंगाल उस आंदोलन को दिशा देने के साथ ही संस्कृति का पोषक बनकर भी खड़ा था। बंगाल में हर तरफ संस्कृति, साहित्य, संगीत की अनुभूति ने भी आजादी के आंदोलन को शक्ति दी थी।