पीईसीयू की ऑक्सीजन पाइप लाइन चोरी का मामला, जिला अस्पताल से दो दिन खाली हाथ लौटी पुलिस
मध्य प्रदेश पीईसीयू की ऑक्सीजन पाइप लाइन चोरी का मामला, जिला अस्पताल से दो दिन खाली हाथ लौटी पुलिस
डिजिटल डेस्क, सतना। जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक इन्टेंसिव केयर यूनिट (पीकू) की पाइप लाइन चोरी होने के मामले में अस्पताल प्रबंधन की शिकायत के बाद सिटी कोतवाली थाने से जांच अधिकारी दो दिन अस्पताल पहुंचीं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन जांच अधिकारी को जहां से पाइप लाइन चोरी हुई है, घटनास्थल तक नहीं दिखा पाया और तो और जिला अस्पताल का जिम्मेदार स्टाफ इस मामले में पुलिस को बयान तक देने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि घटनाक्रम के 4 दिन बीत जाने के बाद भी बात सिर्फ शिकायत तक ही रह गई है।
इसी मामले में 2 फरवरी को सीएसपी महेन्द्र सिंह चौहान ने जिला अस्पताल में प्रबंधन की बैठक लेकर हालात का जायजा लिया था। इस मौके पर सीएमएचओ डॉ. एलके तिवारी तो मौजूद रहे मगर सीएस डॉ. केएल सूर्यवंशी रीवा में मीटिंग का हवाला देकर चले गए थे। सीएसपी ने सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। मसलन, कुल कितने सुरक्षाकर्मी हैं और उनका दायित्व क्या है। इस मामले की जांच की जिम्मेदारी एसआई साधना कठेल को दी गई है।
31 जनवरी की रात हुई थी वारदात
सीएसपी ने दो टूक कहा कि सुरक्षाकर्मियों का काम सिर्फ गेट पर खड़े रहना नहीं, बल्कि जान माल की सुरक्षा करना भी है। उल्लेखनीय है कि 31 जनवरी की रात पीआईसीयू की पाइप लाइन चोरी हो जाने के बाद वहां भर्ती बच्चों की जान जोखिम में पड़ गई थी। अस्पताल सूत्रों की मानें तो चोर को इस बात की जानकारी थी कि पाइप लाइन में ऑक्सीजन की सप्लाई चालू है और चालू लाइन में पाइप काटना आसान नहीं रहता, लिहाजा चोर ने पहले वॉल्ब से सप्लाई बंद की थी, इसके बाद वारदात को अंजाम दिया था।
वेंटीलेटर के लिए पर्याप्त फ्लो नहीं
उधर पीआईसीयू में सेंट्रल ऑक्सीजन पाइप लाइन से सप्लाई बंद होने की वजह से गंभीर रोगियों के लिए वेंटीलेटर सपोर्ट की सुविधा फिलहाल बंद है। जानकार बताते हैं कि वेंटीलेटर चलाने के लिए हाईफ्लो ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। अभी यहां ऑक्सीजन कंसंटे्रटर और जंबो सिलेंडर से सप्लाई दी जा रही है। ऐसे में सामान्य ऑक्सीजन और अधिकतम 10 लीटर पर मिनट ऑक्सीजन की जरूरत तक के बच्चों को किसी तरह कंसंट्रेटर और सिलेंडर से व्यवस्था हो जाती है। राहत की बात यह है कि अभी तीन दिन में ऐसा कोई गंभीर बच्चा भर्ती नहीं हुआ जिसे वेंटीलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी है। वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ सुनील कारखुर ने बताया कि अगर ऐसा कोई बच्चा आता है तो उसे एससीएनयू में शिफ्ट किया जाएगा।