सफेद हाथी बनी ओला का 80 कारें, नहीं मिल रहे खरीदार
समेटा बोरिया बिस्तर सफेद हाथी बनी ओला का 80 कारें, नहीं मिल रहे खरीदार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश के पहले मल्टी मॉडल इलेक्ट्रिक वाहन प्रोजेक्ट का 26 मई 2017 को नागपुर एयरपोर्ट से शुभारंभ किया गया था। वाहन सेवा कंपनी ओला ने 50 करोड़ की लागत से शहर में 200 इलेक्ट्रिक कार प्रस्तुत करने का दावा किया था। इन कारों की चार्जिंग के लिए शहर की चारों दिशाओं में 50 चार्जिंग स्टेशनों को भी तैयार करने की घोषणा की गई थी। कंपनी ने घोषणा की थी कि साल 2030 तक टैक्सी, बस, ई-रिक्शा और ऑटो समेत 10,000 वाहनों को सड़कों पर उतारा जाएगा, लेकिन इस घोषणा के अमल में आने से पहले ही ओला कंपनी ने चुपचाप अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया है।
फाइनेंस कंपनी को दी जिम्मेदारी
अब 10,000 वाहनों को सड़क पर लाना तो दूर, पहले चरण की 80 इलेक्ट्रिक कारों को ही नीलामी के लिए रख दिया गया है। अमरावती रोड स्थित निजी फाइनेंस कंपनी श्रीराम ऑटोमाल परिसर में इन कारों को रखा गया है। इसी फाइनेंस कंपनी को कारों की नीलामी की जिम्मेदारी दी गई है। श्रीराम फाइनेंस के मुताबिक पिछले दो सालों से 340 डीजल और 80 वाहनों को पार्किंग में रखा गया है।
नीलामी के लिए खड़ीं कारें
फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों के मुताबिक इलेक्ट्रिक कारों के लिए पिछले 6 माह से कोई भी खरीददार नहीं आया है। अब ओला कंपनी अपनी सभी 80 कारों को एक ही खरीदार को बेचने का प्रयास कर रही है।
एयरपोर्ट प्राधिकरण को जानकारी नहीं
एयरपोर्ट प्राधिकरण ने एयरपोर्ट परिसर में ओला कंपनी को 465 वर्गमीटर जगह किराये पर दी थी। परिसर में ही चार्जिंग के करीब 15 से अधिक स्टेशन मौजूद थे। ओला प्रबंधन एयरपोर्ट प्राधिकरण को इसके लिए प्रतिमाह करीब 1 लाख रुपए किराया का भुगतान करता था, लेकिन पिछले कई माह से वर्क स्टेशन में कोई भी गतिविधि नहीं हो रही है। जून माह से कोई भी वाहन अथवा कर्मचारी को भी नहीं देखा गया है।
महंगे दाम और तगड़ी लागत ने तोड़ी कमर
वाहन सेवा प्रदाता कंपनी ओला ने शहर में नागरिकों को अपनी सेवा से जोड़ा था। सामान्य ईधन कारें 5 लाख रुपए कीमत की, तो इलेक्ट्रिक कार करीब दोगुना याानि 11 लाख रुपए की होती है। पांच सालों तक कारों के संचालन के बाद लिथियम बैटरी को बदलने में 5 लाख रुपए का खर्च होता है। ओला कंपनी डिपॉजिट लेकर इलेक्ट्रिक कारों को किराये पर दे रही थी। कंपनी की नीतियों के तहत चालक को 1200 से 1600 रुपए किराया देना होता था। इसके साथ ही कारों की बिजली से चार्जिंग में 500 रुपए समेत प्रतिदिन करीब 1700 रुपए का भुगतान करना होता था। मगर, एक बार की चार्जिंग में महज 100 किमी तक चलने से यात्री इसके इस्तेमाल से परहेज करने लगे। और इसे संचालित करने वालों को लगात निकालना भी दूभर हो गया।
मॉडल प्रोजेक्ट अब बंद
नागपुर का मॉडल प्रोजेक्ट अब बंद हो चुका है। इस प्रोजेक्ट से कंपनी ने व्यावसायिक गुर सीखे हैं। इस गुर को सीखने के बाद ही अब हम वाहन निर्माण के क्षेत्र में उतरे हैं। नागपुर के मॉडल प्रोजेक्ट के बंद होने पर कार की नीलामी और घोषणा के बारे मंे जानकारी नहीं है। नागपुर में हमारा कोई अधिकारी भी नहीं है। -स्वाति गुप्ता, मैनेजर, ओला कंपनी
बंद करने की जानकारी मिली
पता चला है कि शहर से सेवा को हटाया जा रहा है। ओला प्रबंधन के पास सिर्फ दो माह का 2 लाख किराया लंबित है। जगह हस्तांतरण करन े के साथ भुगतान का आश्वासन दिया गया है। -आबिद रूही, उपमहाप्रबंधक, एयरपोर्ट प्राधिकरण
ओला के प्रतिनिधि वाहनों को बेचने के लिए ग्राहकों को दिखा रहे
ओला कैब सर्विस और श्रीराम ऑटो के बीच कार्पोरेट अनुबंध वाहनों की पार्किग के लिए हुआ है। इस अनुबंध के बारे में हमारे स्तर पर दस्तावेज नहीं दिए जाते हैं। पिछले दो सालों से 340 डीजल और 80 ई-व्हीकल्स हमारे पार्किग में खड़े हैं। कुछ समय पहले तक ओला का प्रतिनिधि वाहनों को बेचने के लिए ग्राहकों को दिखा रहे थे। फिलहाल इतनी ही जानकारी हमारे पास है। -प्रणय नौटियाल, मैनेजर, श्रीराम ऑटोमॉल, अमरावती रोड