कूनो से निकलकर बाघों के इलाके में पहुंचा नामिबिया का चीता, इलाके की लड़ाई में कौन पड़ेगा किस पर भारी, जानिए बाघ या तेंदुए से किस मामले में कमजोर हैं चीते

बाघ के इलाके में चीता! कूनो से निकलकर बाघों के इलाके में पहुंचा नामिबिया का चीता, इलाके की लड़ाई में कौन पड़ेगा किस पर भारी, जानिए बाघ या तेंदुए से किस मामले में कमजोर हैं चीते

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-19 08:22 GMT
कूनो से निकलकर बाघों के इलाके में पहुंचा नामिबिया का चीता, इलाके की लड़ाई में कौन पड़ेगा किस पर भारी, जानिए बाघ या तेंदुए से किस मामले में कमजोर हैं चीते

डिजिटल डेस्क,भोपाल।  नामीबिया से लाए गए चीतें में से एक चीता ओबान अब श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से 50 किलोमीटर दूर शिवपुरी में मौजूद माधव नेशनल पार्क पहुंच चुका है। तेज तर्रार ओबान जिस पार्क में घूम रहा है वहीं पर बाघ- बाघिन पहले से ही मौजूद हैं। इसका सीधा मतलब है कि चीता अब बाघ की टेरिटरी में पहुंच चुका है। ओबान के माधव नेशनल पार्क पहुंचने की वजह से कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन अलर्ट हो गया है। और चीते के मूवमेंट पर नजर रख रहा है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि चीतों का सामना अगर बाघ से होता है तो क्या होगा?  

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और फोटोग्राफर मुकेश यादव ने इस सवाल का जवाब देते हुए आजतक को बताया कि नामीबिया से लाए गए चीतों और बब्बर शेर को तो देखा है लेकिन बाघ से उनकी कभी न तो मुलाकात हुई न ही कोई झड़प। लेकिन अगर अचानक चीते के सामने बाघ आता है तो चीता किस तरह से प्रतिक्रिया देगा ये कहना मुश्किल है। यादव का कहना है अगर बाघ का सामना होता है तो चीते को केवल एक ही चीज बचा सकती है वो है उसकी रफ्तार,नहीं तो बाघ का एक पंजा ही काफी है उसे खत्म करने के लिए।  

  • चीते की अधिकतम स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है जबकि बाघ की गति 56 से 64 किलोमीटर प्रतिघंटा ही है। इसलिए बाघ चीते को दौड़ाकर शिकार नहीं बना सकता है। केवल घात लगाकर ही हमला कर सकता है। 
  • ऊंचे घास वाली जगहों पर बाघ का चीते को देखना बहुत मुश्किल होगा। हालांकि बाघ चाहे तो चीते का चुपके से शिकार कर सकते हैं।   
  • तेंदुए की बात करें तो यह चीते को दूर से देख सकता है। तेंदुए के लिए बड़ा फायदा यह है कि यह पेड़ों पर  रहता है इसलिए मौके को देखते हुए वह सीधे चीते के ऊपर हमला कर सकता है। ऐसे में चीते के लिए जान बचाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि लेपर्ड की गति भी 56-60 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ता है। 
  • चीते को घने जंगल में शिकार बनाना आसान है लेकिन चीते आमतौर पर घास के मैदानों में रहते हैं यहां पर उन्हें पकड़ना मुश्किल  होगा। 
  • मुकेश यादव की मानें तो माधव नेशनल पार्क में चीते को टाइगर से ज्यादा तेंदुओं से खतरा है। क्यों कि यह ज्यादातर छिपकर हमला करते हैं। तेंदुए जमीन और ऊंचाई दोनों से ही शिकार करने में दक्ष हैं लेकिन अगर चीता खुले मैदान में है तो बाघ हो या तेंदुए दोनो के लिए इसे पकड़ पाना आसान नहीं होगा। 
  • हालांकि माधव नेशनल पार्क में चीते का सामना बाघ से होने की संभावना काफी कम है लेकिन तेंदुए से हो सकता है। पार्क 137 वर्ग किलोमीटर पर फैला हुआ है। इस पार्क में घने जंगल कम ही हैं। 

कौन पडेगा भारी चीते या तेंदुए

बता दें कूनो नेशनल पार्क के तेंदुओं को फॉरेस्ट अधिकारियों ने चीतों के बाड़े से काफी मशक्कत के बाद बाहर निकाला था। इसके बाद से ही  सवाल उठ रहे थे कि क्या चीतों को तेंदुओं से कोई खतरा होगा। इस बारे में वन्यजीव विशेषज्ञ और वन विहार के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर एके जैन ने ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए बताया था कि इसकी संभावना कम ही हैं कि चीतों को तेंदुओं से कोई नुकसान होगा।

हालांकि ऐसा हो सकता है  कि तेंदुए और चीतों का कभी आमना-सामना हुआ तो तेंदुए इनको देखकर डरेंगे। उनका मानना है कि दोनों का शिकार करने का तरीका एक है दोनों ही अपने शिकार को खींचकर पेड़ो पर टांग देते हैं, हो सकता है कि शिकार को लेकर झगड़े हों, लेकिन ऐसा होने पर भी चीते, तेंदुओं पर भारी पड़ेंगे। इसके पीछे वजह है उनकी तेंदुओं से बड़ी हाइट का होना और शारीरिक रूप से भी चीते मजबूत होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तेंदुआ हमेशा अकेला ही शिकार करता है लेकिन चीते झुंड में भी रहते हैं।


 

 

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