मनपा में सरकारी योजनाओं की नहीं कोई जानकारी, न हिसाब
करोड़ों की लूट मनपा में सरकारी योजनाओं की नहीं कोई जानकारी, न हिसाब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागरिकों के हित में केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से शहर में करीब 10 प्रकार की योजनाएं मनपा के जरिए क्रियान्वित की जा रही हैं। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार से हर साल करोड़ों रुपए मिलते हैं, लेकिन यह पैसा कहां खर्च हुआ और योजनाएं कौन सी हैं, यह जानकारी तक किसी के पास नहीं है। मनपा इस ओर पूरी तरह आंखें मुंदे है। जनता को भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी और ठेकेदारों पर परस्पर निधि हड़पने के आरोप लगे। ऐसे में इसमें करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे होने का आरोप मनपा की आमसभा में किया गया।
सत्तापक्ष व प्रशासन दोनों हैरान
सत्तापक्ष के सदस्य एड. धर्मपाल मेश्राम ने सिलसिलेवार ढंग से इस भ्रष्टाचार की परतें खोलीं। सत्तापक्ष और प्रशासन दोनों हैरान रह गए। इस मामले की गहन जांच के लिए महापौर दयाशंकर तिवारी ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति इन योजनाओं के लिए केंद्र व राज्य से प्राप्त होने वाली निधि और उसके लिए आवश्यक उपलब्धता, उस पर खर्च आदि की जांच कर योजनाओं को अंतिम घटक तक पहुंचाकर कैसे सफल बनाया जा सकता है, इसका नियोजन करेगी। ऐसे में समिति के माध्यम से आने वाले दिनों में अनेक खुलासे होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
ठेकेदार-अधिकारी की मिलीभगत
बुधवार को मनपा की ऑनलाइन आमसभा में एड. धर्मपाल मेश्राम ने यह मुद्दा उपस्थित किया था। एड. मेश्राम ने कहा कि एनयूएचएम व एनयूएलएम जैसी करीब 10 योजनाएं शहर में केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से चल रही हैं, लेकिन किसी के पास इसकी जानकारी नहीं है। ठेकेदार और अधिकारी परस्पर अपने स्तर पर निर्णय लेकर मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने शहर के शेल्टर होम का उदाहरण देते हुए बताया कि शहर के एक शेल्टर होम में करीब 110 बेड मंजूर हैं। जानकारी में सिर्फ 30 बेड मंजूर दिखाए गए। ऐसे में एक-एक बेड पर कितना पैसा गबन हो रहा है, इसका पता चलता है।
विशेष समिति बनाने की मांग
मेश्राम ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की विविध योजना की योग्य क्रियान्वयन हो और पात्र लाभार्थियों को उसका लाभ मिले, इसके लिए मनपा में विशेष समिति की तरह एक समिति बनाई जाए। पिंटू झलके ने भी इस पर प्रश्न उठाए। उन्होंने पूछा कि 2008 से 2021 तक केंद्र व राज्य सरकार की विविध योजना में मनपा को कितनी निधि उपलब्ध हुई। इस पर महापौर दयाशंकर तिवारी ने संपूर्ण विषयों को ध्यान में रखते हुए आयुक्त को इसमें विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। मनपा में गठित विशेष समिति द्वारा केंद्र व राज्य सरकार की योजना का क्रियान्वयन किया जाता है, लेकिन समिति के पदाधिकारियों को भी योजना के विषय में जानकारी नहीं होने से प्रशासन द्वारा जानकारी उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जाए। महापौर ने इस संबंध में मनपा आयुक्त को पांच सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश दिए।
लगी प्रश्नों की झड़ी
पूर्व स्थायी समिति सभापति विक्की कुकरेजा ने पूछा कि कंपनी के ठेके में ट्रांसपोर्ट स्टेशन का उल्लेख है। निविदा होने के बाद प्रशासन द्वारा उसका क्या हुआ? मौजूदा स्थायी समिति सभापति प्रकाश भोयर ने भी चर्चा में भाग लिया। विरोधियों ने प्रश्नों को झड़ी लगा दी। तत्पश्चात महापौर दयाशंकर तिवारी ने कहा कि मैं भाग्यशाली हूं कि कचरा कंपनी के विषय पर महापौर के रूप में मुझे निर्देश देने पड़ रहे हैं। जिस स्थायी समिति सभापति के कार्यकाल में यह निविदा हुई और जिस सभापति ने इसे मंजूर किया है, उन्हीं के कार्यकाल में जो महापौर थे वहीं कंपनी के कार्यप्रणाली पर प्रश्न पूछ रहे हैं। उस समय पर इस पर ठीक से काम हुआ होता, तो मुझे महापौर के रूप में निर्देश देने का सौभाग्य नहीं मिलता। यह कहते हुए उन्होंने पूर्व महापौर की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह भी उपस्थित किए।