नक्सलियों के उत्तर बस्तर बंद का दिखा व्यापक असर थमे रहे यात्री बसों के पहिए, अंदरूनी इलाकों में पसरा रहा सन्नाटा
कांकेर नक्सलियों के उत्तर बस्तर बंद का दिखा व्यापक असर थमे रहे यात्री बसों के पहिए, अंदरूनी इलाकों में पसरा रहा सन्नाटा
डिजिटल डेस्क, कांकेर। माओवादियों के मंगलवार को उत्तर बस्तर बंद के आह्वान का कांकेर,कोंडागांव और नारायणपुर जिले के अंदरूनी इलाके में व्यापक असर देखने को मिल नक्सल दहशत की वजह से सब दूर सन्नाटा पसरा रहा। दुकानों के साथ ही यात्री बसें भी बंद रहीं। इधर बंद के बीच डीआरजी के जवानों को नक्सल ऑपरेशन पर भी भेजा गया है। अंदरूनी इलाकों में पुलिस, सीआरपीएफ और बीएसफ के जवानों ने सर्चिंग बढ़ा दी है। माओवादियों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया है। एक दिन पहले माओवादियों ने बैनर-पोस्टर चस्पा कर कहा था कि, पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर कर उनके कुछ साथियों को मार दिया। जिसके विरोध में माओवादियों ने सोमवार को कांकेर जिले के अंदरूनी इलाकों में यात्री बसों में आगजनी की। मोबाइल टावर को आग के हवाले कर जमकर उत्पात मचाया था। वहीं मंगलवार को उत्तर बस्तर बंद करवाया है। बंद का कांकेर, ,नारायणपुर और कोंडागांव में तो असर देखने मिला ही अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, पखांजूर, बांदे जाने वाली सभी यात्री बसों को भानुप्रतापपुर में ही रोक दिया गया।
आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण दिलाने धरने पर बैठे साय
भास्कर ब्यूरो, रायपुर। आदिवासी आरक्षण पर वरिष्ठ भाजपा नेता नंदकुमार साय ने आंदोलन शुरू कर दिया है। उन्होने अपना धरना राजधानी के देवेंद्र नगर चौक पर शुरू किया है। पास ही उनका आवास भी है, यहीं टेंट लगाकर सडक़ किनारे वो आरक्षण के मसले पर धरने पर बैठ गए हैं। श्री साय ने कहा है कि जब तक प्रदेश के आदिवासियों के आरक्षण से जुड़ा मसला सुलझ नहीं जाता वो धरने से हटने वाले नहीं है। गौरतलब है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने आरक्षण के दिए जाने के नियमों में गड़बड़ी मिलने पर इसे 32 से 20 प्रतिशत कर दिया है। वापस इसे हासिल करने के लिए कानूनी लड़ाई भी जारी है।