मप्र: अब राज्य में एनआरए के अंक के आधार पर मिलेंगी सरकारी नौकरी, सीएम शिवराज ने किया ऐलान
मप्र: अब राज्य में एनआरए के अंक के आधार पर मिलेंगी सरकारी नौकरी, सीएम शिवराज ने किया ऐलान
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए अलग से परीक्षा नहीं होगी, बल्कि नेशनल रिक्रुटमेंट एजेंसी (एनआरए) द्वारा आयोजित परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर नौकरी दी जाएगी। इस निर्णय का ऐलान राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को किया। चौहान ने कहा कि अपने युवा बेटे-बेटियों के कल्याण के लिए हमने एक और अनूठा व क्रांतिकारी निर्णय लिया है। प्रदेश की शासकीय नौकरियों के लिए युवाओं को अलग से कोई परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही इन्हें प्रदेश की शासकीय नौकरियां मिलेंगी।
चौहान ने आगे कहा कि एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर ही नौकरी देने का अभूतपूर्व निर्णय लेने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। इससे युवाओं का जीवन सहज, सुगम बनेगा। देश के दूसरे राज्य भी मध्यप्रदेश की इस पहल को अपनाकर अपने प्रदेश के बेटे-बेटियों को बड़ी राहत दे सकते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनआरए के गठन के फैसले से युवाओं के भविष्य की राह आसान हुई है।
युवाओं को नौकरी के लिए बारबार नहीं देना होगा परीक्षा
शिवराज ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश की शासकीय नौकरियों पर केवल प्रदेश के युवाओं का हक होगा, यह हमने पहले ही तय कर दिया है। अब आपको बार-बार की परीक्षाओं के कारण होने वाले निरर्थक व्यय और आवागमन से भी मुक्ति मिल जाएगी। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री चौहान ने इससे पहले राज्य में सरकारी नौकरी सिर्फ राज्य के युवाओं और छात्रों को देने का एलान किया था।
राज्य के लोगों को ही दी जाएगी सरकारी नौकरी
बता दें कि हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की सरकारी नौकरी सिर्फ स्थानीय लोगों को देने का ऐलान किया है। इस फैसले को जहां भाजपा (BJP) ने ऐतिहासिक करार दिया है, वहीं कांग्रेस (Congress) ने इस पर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को ऐलान किया कि राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है कि मध्य प्रदेश की शासकीय नौकरियां अब सिर्फ राज्य के लोगों को ही दी जाएगी। इसके लिए हम आवश्यक कानूनी प्रावधान कर रहे हैं।
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
वहीं, कांग्रेस ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि यह कहीं सिर्फ घोषणा और छलावा बनकर न रह जाए। कमल नाथ ने मुख्यमंत्री चौहान और भाजपा से सवाल किया, आपकी 15 साल की सरकार में प्रदेश में बेरोजगारी की क्या स्थिति रही, यह किसी से छुपा नहीं है। युवा हाथों में डिग्री लेकर नौकरी के लिये दर-दर भटकते रहे।
क्लर्क व चपरासी की नौकरी तक के लिये हजारों डिग्रीधारी लाइनों में लगते रहे। मजदूरों व गरीबों के आंकड़े इसकी वास्तविकता खुद बयां कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, 15 वर्ष बाद आज युवाओं के रोजगार को लेकर आप नींद से जागे, आज आपने प्रदेश के युवाओं को प्राथमिकता से नौकरी देने के हमारे निर्णय के अनुरूप ही घोषणा की, लेकिन यह पूर्व की तरह ही सिर्फ घोषणा बन कर ही न रह जाए।