MP :बच्चियों से रेप किया तो फांसी, विधानसभा में विधेयक पास
MP :बच्चियों से रेप किया तो फांसी, विधानसभा में विधेयक पास
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को 12 वर्ष की आयु की बलात्कार पर मृत्यु दण्ड के प्रावधान वाला बहुचर्चित दण्ड विधि मप्र संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। अब ये विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। नाबालिग से रेप और गैंगरेप के आरोपी को मौत की सजा देने के विधेयक को मंजूरी देने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य बन गया।
बलात्कार एक जघन्य अपराध है। आज मध्यप्रदेश विधानसभा ने १२ साल से कम उम्र की बेटियों के साथ बलात्कार करने वाले को फाँसी की सज़ा हो, ऐसा विधेयक पारित किया है। बेटियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। #MP_में_बलात्कारियों_को_फांसी
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 4, 2017
मध्यप्रदेश ने सर्वसम्मति से उस विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं के साथ बलात्कार करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा होगी। शिवराज सरकार की दृष्टि में कन्या सदैव लाडली लक्ष्मी रहेगी।
— Bhupendra Singh (@bhupendrasingho) December 4, 2017
सम्मान और सुरक्षा की अधिकारी।@ChouhanShivraj
हर बेटी के चेहरे पर कभी न मिटने वाली मुस्कान हो और उसकी इस निश्छल मुस्कान की रक्षा के लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ। "दण्ड विधि संशोधन विधेयक" कानून बनाने के साथ हमें समाज को निरंतर संस्कारित भी करते रहना होगा।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 4, 2017
विधानसभा में पास इस विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग न हो इसके लिए अगले विधानसभा सत्र में सरकार जन सुरक्षा विधेयक लेकर आएगी। इसकी घोषणा खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि विधेयक में स्त्री का पीछा करने पर सजा का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि स्कूल-कॉलेज और कोचिंग में पढ़ने आने वाली लड़कियों को सुरक्षा प्रदान की जाए। पीछा मोबाईल/इंटरनेट से भी होता है तथा इससे भी छेड़छाड़ करने वालों पर नकेल कसी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक सिर्फ एमपी नगर की गैंगरेप घटना के कारण नहीं लाया गया है बल्कि नर्मदा यात्रा के दौरान ही इसकी भूमिका तैयार कर ली गई थी।
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मासूम बेटियों से बलात्कार करने वालों को इस धरती पर जीने का हक नहीं है। ऐसे लोग पिशाच होते हैं। 98 प्रतिशत घटनाएं ऐसी होती हैं जिनमें रिश्तेदार एवं सगे-संबंध्राी बलात्कार करते हैं और कई बार बाप तक ऐसी घटनाएं करने के लिए नराधम हो जाते हैं। विधानसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक राष्ट्रपति के पास जाएगा तथा सरकार हर संभव प्रयास करेगी इसे वहां से भी जल्द मंजूरी मिल जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें न्यायापालिका पर पूरा भरोसा है कि वह इस विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग नहीं होने देगी। चौहान ने बताया कि निर्भया कांड जैसी घटनाओं पर जब उनके निवास तक युवक-युवतियों ने कैंडल मार्च निकाला तो उन्होंने उन्हें अपने निवास के हाल में बुलाया तो वहां एक युवती ही शिकायत करने लगी कि कैंडल मार्च में शामिल एक लड़के ने उससे छेड़छाड़ की। उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि नैतिकता का आंदोलन भी वलाना होगा जिसके लिए वे संतों, जनप्रतिनिधियों एवं समाज के लोगों का सहयोग लेंगे।
बिल पर क्या बोले विधायक ?
- मृत्यु दण्ड का प्रावधान करने से लोग बलात्कार के बाद सबूत मिटाने के लिये बच्चियों की हत्या करने लगेंगे। इस कानून का दुरुपयोग भी होगा: गोविन्द सिंह
- सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा, इसका पालन भी करना जरुरी होगा: रामनिवास रावत
- कानून का पालन होता है तथा इसी के कारण अब सती प्रथा नहीं होती है और बाल विवाह पर नियंत्रण है: यशपाल सिंह सिसौदिया
- यह बिल बिना किसी कमेटी को बनाये सीधे तैयार कर लिया गया। केंद्र सरकार ने निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी बनाई थी तथा उसने मृत्यु दण्ड का प्रावधान नहीं किया था : सुंदरलाल तिवारी
- मैं इस बिल का समर्थन करती हूं क्योंकि बच्चियों से बलात्कार करने वाले लोग समाज के लिये खतरा हैं: पारुल साहू
- गांधी जी ने कहा था कि अपराध को मारो न कि अपराधी को। इसलिये मृत्यु दण्ड का प्रावधान नहीं किया जाना चाहिये: ओंकार सिंह मरकाम
- मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। - शैलेन्द्र पटेल
कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी थी मंजूरी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह हुई कैबिनेट की बैठक में 12 साल या इससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार या गैंगरेप करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा देने की सिफारिश वाले प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी।
बेसहारा घूमने वाले बच्चों को मिलेगा घर एवं भोजन
मुख्यमंत्री चौहान ने सदन में घोषणा की कि वे सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित करेंगे। रेल्वे स्टेशन, बस अड्डों आदि पर बेसहारा घूमने वाले बालक-बालिकाओं को घर एवं भोजन दें तथा भले ही इसके लिए उन्हें किराए के घर ही क्यों न लेने पड़ें।