मोटर साइकिल को बना दिया खेती का उपकरण
युवा किसान का देसी जुगाड़ मोटर साइकिल को बना दिया खेती का उपकरण
डिजिटल डेस्क, सिरोंचा(गड़चिरोली)। आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है, इस कहावत को सच कर दिखाया है, सिरोंंचा तहसील के जाफ्राबाद निवासी युवा किसान राजलिंगु दुर्गम ने खेती को और आसान बनाने के लिए बाजार में अनेक प्रकार की आधुनिक मशीनंे आ गई हंै। किसान इसकी मदद से कम समय और कम लागत में अच्छी फसलें उगा सकते हंै। लेकिन राजलिंगु ने अपना देसी जुगाड़ अपनाते हुए खेत को जोतने के लिए दोपहिया को ही उपकरण बना दिया है। दोपहिया का पिछला पहिया निकालकर उसकी जगह ट्रैक्टर की तरह दो पहिए लगाकर इसकी मदद से राजलिंगु बड़ी ही आसानी से खेती कर रहा है। उसका यह देसी तरीका देखने इन दिनों क्षेत्र के किसान उसके खेतों में पहुंच रहे हैं।
बता दें कि, वर्तमान में बैलों की संख्या काफी कम हो गयी है। इस कारण खेती-किसानी के लिए हर किसान ट्रैक्टर की मदद लेता है। लेकिन कई बार समय पर ट्रैक्टर उपलब्ध नहीं होने से किसानों का जोताई का कार्य अधर में पड़ जाता है। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा में सिरोंचा तहसील का जाफ्राबाद गांव बसा हुआ है। इस वर्ष खरीफ सत्र के दौरान समय पर ट्रैक्टर उपलब्ध नहीं होने से यहां के युवा किसान राजलिंगु दुर्गम समय पर जोताई का कार्य नहीं कर पाये। जिसके कारण उन्होंने अपनी दोपहिया को ही जुताई का उपकरण बना दिया। विशेष बात यह है कि, उन्होंने इस उपकरण में रिवर्स गियर बॉक्स भी लगाया है। जिसकी मदद से उनकी यह दोपहिया बड़ी ही आसानी से पीछे भी जा सकती है। इस संदर्भ में राजलिंगु ने दैनिक भास्कर को बताया कि, उसके परिवार में दो भाई, एक बहन और माता हैं। पिता के देहांत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उस पर आ गयी।
पांचवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने वाला राजलिंगु की गांव में ही एक छोटी सी वेल्डिंग की दुकान भी है। साथ ही खेती किसानी से भी वह अपने परिवार का गुजर-बसर करता है। उसके पास बैल जोड़ी नहीं और समय पर ट्रैक्टर उपलब्ध नहीं होने से हर वर्ष जाेताई के कार्य में उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इस कारण राजलिंगु ने अपना देसी जुगाड़ अपनाते हुए मोटरसाइकिल को ही जुताई का उपकरण बना दिया है। यह उपकरण बनाने के लिए राजलिंगु ने यू-ट्यूब की सहायता भी ली है। इस उपकरण को तैयार करनेे के लिए उसे करीब 20 हजार रुपए का खर्चा हुआ। वहीं इसे तैयार करने के लिए करीब छह माह की अवधि भी लगी। राजलिंगु के इस अनोखे उपकरण को देखने के लिए इन दिनों जाफ्रबाद में अन्य गांवों के किसान और नागरिक भी रहे हंै। राजलिंगु के इस प्रयास को लोगों द्वारा सराहा भी जाने लगा है। उसकी माली हालत काफी कमजोर होने के कारण उसके नीत-नये जुगाड़ के लिए सरकार द्वारा उसे वित्तीय मदद देने की मांग भी अब जाफ्राबाद के नागरिकों द्वारा की जा रहीं है।