महावितरण ने 22 बड़े बकाएदारों की लाइन हमेशा के लिए काट दी
सख्ती महावितरण ने 22 बड़े बकाएदारों की लाइन हमेशा के लिए काट दी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महावितरण के तुलसीबाग उपविभाग ने भालदारपुरा, गंजीपेठ व बजरिया में कार्रवाई करते हुए रविवार को छुट्टी के दिन 22 बड़े बकाएदारों की लाइन हमेशा के लिए काट दी। महावितरण को इनसे 17 लाख 31 हजार रुपए का बिजली बिल वसूलना है। तुलसीबाग उपविभाग की ओर से बार-बार सूचना देने के बावजूद बिल का भुगतान नहीं करनेवाले 29 उपभोक्ताआें की अस्थायी तौर पर (टीडी) लाइन काट दी। इन पर 8 लाख का बिल बकाया है। बकाया बिल भरने पर ही इनकी लाइन शुरू होगी आैर इनसे रिकनेक्ट शुल्क भी वसूला जाएगा। महावितरण ने 38 बकाएदारों से 5 लाख 58 हजार रुपए बिजली बिल वसूला। रविवार छुट्टी के दिन यह मुहिम चलाई गई। आर्थिक स्थिति खराब होने से महावितरण छुट्टी के दिन भी वसूली मुहिम चलाएगा। महावितरण के मुख्य अभियंता दिलीप दोड़के व कार्यकारी अभियंता समीर टेकाडे के मार्गदर्शन आैर अतिरिक्त कार्यकारी अभियंता प्रसन्ना श्रीवास्तव के नेतृत्व में की गई कार्रवाई में सहायक अभियंता अशोक गुप्ता, लाइनमैन गजानन ताजने, मुरलीधर निमजे, भुदेव बावनकुले, मनोज सलामे, युवराज पौनीकर शामिल थे।
एक बिल भी बकाया, तो कटेगी लाइन
महावितरण प्रबंधन ने बिजली वसूली मुहिम को आैर सख्त कर दिया है। फरमान के अनुसार, एक बिल भी बकाया होने पर लाइन काटी जा सकती है। इस ताजा फरमान से महावितरण के प्रति आम लोगों में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि महावितरण का यह ‘तुगलकी फरमान’ है, जो आम आदमी पर भारी पड़ने जा रहा है। ‘तुगलकी फरमान’ इसलिए कि बिल भरने में देरी कतिपय कारणों से हो सकती है। इसके लिए ब्याज लिया ही जाता है। कार्रवाई उनके खिलाफ जायज है, जिनकी मंशा बिजली चोरी अथवा बिल नहीं भरने की होती है। महावितरण के अनुसार, सिर्फ घरेलू, वाणिज्यिक व उद्योगों पर 325 करोड़ से ज्यादा बकाया बिल है। साफ है कि इतनी बड़ी निधि उन लोगों के हिस्से की नहीं हो सकती, जो नियमित रूप से बिल भरते हैं। फिर उन पर गाज क्यों?
गाज सभी पर क्यों : आंकड़ों के हिसाब से देखें तो नागपुर और वर्धा में करीब 14 लाख बिजली उपभोक्ता हैं और महावितरण के अनुसार, सिर्फ घरेलू, वाणिज्यिक व उद्योगों पर 325 करोड़ से ज्यादा बकाया बिल है। इसका मतलब यह कि अगर सभी उपभोक्ताओं पर यह बकाया मान लिया जाए, तो प्रत्येक उपभोक्ता पर पर लगभग 2321 रुपए का बकाया बनता है, पर जिले के अधिकतर उपभोक्ताओं के एक माह का बिल इतना आता भी नहीं होगा। फिर यह फरमान उनके लिए ‘तुगलकी’ ही सिद्ध होगा। अगर महावितरण इसे श्रेणीबद्ध कर फरमान जारी करती कि यह आदेश उन पर लागू होगा, जिनका महीने का बिल कम से 5-6 हजार आता है, तो इसे कुछ हद तक जायज कहा जा सकता था।
कार्रवाई में कोताही नहीं : बता दें कि मुख्य प्रबंध निदेशक कार्यालय, मुंबई की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि बकाया बिल वसूली मुहिम में तेजी लाने के लिए एक बिल बकाया होने पर भी लाइन काटी जा सकती है। महावितरण अमूमन बड़े बकाएदारों की लाइन पहले काटता है। छोटे बकाएदारों पर धीरे-धीरे शिकंजा कसता है। ताजा आदेश से अब बड़े आैर छोटे सभी प्रकार के बकाएदारों पर तेजी से गाज गिरेगी। अगले महीने भर देंगे, यह जवाब अब नहीं चल सकेगा। इस बीच उड़नदस्ते ने 4 दिन में शहर के विभिन्न स्थानों पर दबिश देकर 35 लाख की बिजली चोरी पकड़ी आैर 7 हजार कनेक्शन काट दिए। शनिवार शाम को उड़नदस्ता नागपुर से चला गया।
70 फीसदी भरो
महावितरण के फरमान से आम उपभोक्ताआें की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। अगर किसी उपभोक्ता पर 10 हजार का बिल बकाया है, तो कम से कम 70 फीसदी यानी 7 हजार का भुगतान करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो लाइन काट दी जाएगी। तीन किस्त वाली बात अब नहीं रही। दो-तीन बिल बकाया रहना पहले आम बात हो गई थी। अब दूसरा बिल आने के पहले ही पहला बिल भरना होगा। गौरतलब है कि इसके पहले महावितरण की ओर से कहा गया गया था कि लगातार तीन बिल नहीं भरनेवालों की अस्थायी तौर पर लाइन काट दी जाएगी।
वसूली पर पूरा जोर
जिले में 9 डिवीजन हैं। हर डिवीजन का इंचार्ज कार्यकारी अभियंता होता है। एक डिवीजन में 4 सब-डिवीजन व 14 से ज्यादा वितरण केंद्र होते हैं। कार्यकारी अभियंता सीधे वितरण केंद्र के मुखिया (अभियंता) से वसूली व कनेक्शन काटने की जानकारी लेते रहेंगे। वसूली में फिसड्डी व लापरवाह स्टाफ की जानकारी भी देनी है। लापरवाह स्टाफ को सस्पेंड भी किया जा सकता है। वसूली कराने में असफल वितरण केंद्र के अभियंता पर भी कार्रवाई हो सकती है। कार्यकारी अभियंता खुद नजर रखेंगे।