मप्र: विरोध के बाद कमलनाथ सरकार ने बदला अपना फैसला, नसबंदी वाले आदेश को लिया वापस
मप्र: विरोध के बाद कमलनाथ सरकार ने बदला अपना फैसला, नसबंदी वाले आदेश को लिया वापस
डिजिटल डेस्क,भोपाल। परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया था। जिसे विवाद बढ़ने पर वापस ले लिया गया है। सरकार ने आदेश में हेल्थ वर्कर्स से कहा था कि वह कम से कम एक व्यक्ति की नसबंदी (Sterilisation) कराएं। अगर वह नहीं करते तो उनको जबरदस्ती वीआरएस दे दिया जाएगा और सैलरी में भी कटौती की जाएगी।
शिवराज सिंह चौहान ने उठाए सवाल
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदेश को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय तानाशाही है।
मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू (Male Multi Purpose Health Workers) के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है। #MP_मांगे_जवाब pic.twitter.com/Fl7Q8UM9dX
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 21, 2020
टारगेट पूरा करने का निर्देश
ये आदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) ने राज्य के हेल्थ वर्कर्स को जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि जो नसबंदी का टारगेट पूरा नहीं करेगा उसे सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। बता दें पिछले पांच सालों में राज्य में नसंबदी के लिए पुरुषों की संख्या घटी है। 2019-20 में 3.39 लाख महिलाओं ने और 20 फरवरी तक सिर्फ 3,397 पुरुषों ने नसबंदी कराई। 2015-16 में 9,957, 2016-17 में 7,270, 2017-18 में 3,719 और 2018-19 में 2,925 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी।
Madhya Pradesh Health Minister Tulsi Silawat: The State government has withdrawn the order https://t.co/wWzHOmULhw
— ANI (@ANI) February 21, 2020
नसबंदी कराना अनिवार्य
वहीं आदेश में हेल्थ वर्कर्स को सैलरी कटौती करने की भी चेतावनी दी गई है। राज्य में परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए कम से कम 10 पुरुषों की नसबंदी कराना अनिवार्य है। एनएचएम (NHM) की उप निदेशक डॉ प्रज्ञा तिवारी ने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की लगभग कोई भागीदारी नहीं है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप लोगों से जबरदस्ती करें। हम चाहते हैं कि लोगों को जागरूक करें। उन्होंने कहा, ऐसे कई लोग हैं जो अपने परिवार के आकार को सीमित करना चाहते हैं, लेकिन उनमें जागरूकता की कमी है। यह उनका काम है। अगर एक साल में एक भी व्यक्ति को प्रेरित नहीं कर सकते है यह उनके काम की लापरवाही है।
पुरुषों में मर्दानगी खोने का डर
मातृ स्वास्थ्य विभाग की उप निर्देश डॉ अर्चना मिश्रा ने कहा कि पुरुष नसबंदी बहुत सरल होती है। हालांकि पुरुषों में इसको लेकर भ्रम है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के पुरुषों को डर है कि नसबंदी कराने से वे अपनी मर्दानगी को खो देंगे। वहीं इंदौर के सीएमएचओ डॉ प्रवीण जडिया ने कहा कि पहली बार है कि सरकार द्वारा ऐसा कोई नोटिफिकेशन जारी किया है। उन्होंने कहा कि इंदौर का कुल लक्ष्य 22,500 था और लगभग 19,500 नसबंदी की जा चुकी हैं।