60 किसान शहीदः कृषि कानून वापस नहीं लेने पर हरियाणा के विधायक अभय चौटाला देंगे इस्तीफा
60 किसान शहीदः कृषि कानून वापस नहीं लेने पर हरियाणा के विधायक अभय चौटाला देंगे इस्तीफा
डिजिटल डेस्क ( भोपाल)। "मुझे कुर्सी नहीं मेरे देश का किसान खुशहाल चाहिए। सरकार द्वारा लागू इन काले कानूनों के खिलाफ मैंने अपना इस्तीफा अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच हस्ताक्षर कर किसानों को सौंपने का फैंसला लिया है। उम्मीद करता हूं देश का हर किसान पुत्र राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के साथ आएगा"। यह बात हरियाणा के ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने अपने इस्तीफे पर दस्तखत करते हुए कही। उन्होंने लिखा कि अगर 26 जनवरी तक कानून वापस नहीं हुए तो इसे ही मेरा इस्तीफा समझा जाए।
मुझे कुर्सी नहीं मेरे देश का किसान खुशहाल चाहिए। सरकार द्वारा लागू इन काले कानूनों के खिलाफ मेने अपना इस्तीफा अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच हस्ताक्षर कर किसानों को सौंपने का फैंसला लिया है।
— Abhay Singh Chautala (@AbhaySChautala) January 11, 2021
उम्मीद करता हूँ देश का हर किसान पुत्र राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के साथ आएगा || pic.twitter.com/i3T533CLyV
क्या लिखा है पत्र में...
अभय चौटाला ने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष को पत्र सौंपते हुए लिखा कि " सभी जानते हैं कि देवीलाल जी ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया। आज की परिस्थियों में उसी विरासत का मैं रखवाला हूं। किसानों पर आए इस संकट की घड़ी में मेरा दायित्व है कि मैं हर संभव प्रयास करूंगा, जिससे किसानों के भविष्य और अस्तित्व पर आए इस खतरे को टाला जा सके। केंद्र सरकार के द्रारा लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों का देशभर में विरोध हो रहा है। अब तक 47 से अधिक दिन हो चुके हैं और कड़ाके की ठंड में लाखों किसान दिल्ली को चारो तरफ से घेरे हुए बैठे हुए हैं। ठंड के कारण 60 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। इस संबंध में सरकार और किसानों के बीच 8 बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सरकार ने कोई भी समाधान निकालने की कोशिश नहीं की है।
हालात देखकर लग रहा है कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में, मैं कोई भी ऐसी भूमिका इन परिस्थितियों में निभा सकूंगा, जिससे किसानों के हित की रक्षा की जा सके। अतः एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजूदगी कोई महत्व नहीं रखती। इन सभी हालातों को देखते हुए अगर भारत सरकार इन तीनों काले कानूनों को 26 जनवरी तक वापस नहीं लेती तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग पत्र समझा जाए।