खासदार महोत्सव : भव्य मंच पर दिखा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का जीवन
खासदार महोत्सव : भव्य मंच पर दिखा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का जीवन
डिजिटल डेस्क. नागपुर। भारत की पावन भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। देश और समाज कल्याण के लिए कार्य करने वाले डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का नाम महापुरुषों में शुमार है। डॉ. आंबेडकर ने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में उत्सर्ग कर दिया। उनके जीवन पर आधारित महानाट्य ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ का मंचन ईश्वर देशमुख शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय मैदान हनुमान नगर में खासदार सांस्कृतिक महोत्सव में किया गया। महानाट्य में उनके जीवन से जुड़े पहलुओं को दिखाया गया। महानाट्य की संकल्पना, गीत और निर्देशन शैलेन्द्र कृष्णा बागडे की थी। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्राकांत पाटील, नाना शामकुले, संदीप जाधव, प्रा. केशव भगत, पूरण मेश्राम, भूपेश थुलकर, पूर्व विधायक डॉ. मिलिंद माने आदि उपस्थित थे। लेखन किरण गभने ने किया है।
सामाजिक असमानता को दूर करना था लक्ष्य
बाबासाहब का लक्ष्य था सामाजिक असमानता दूर कर दलितों के मानवाधिकार की प्रतिष्ठा करना। डॉ. आंबेडकर ने गहन-गंभीर आवाज में सावधान किया था कि हम 26 जनवरी 1950 को परस्पर विरोधी जीवन में प्रवेश कर रहे हैं। हमारे राजनीतिक क्षेत्र में समानता रहेगी, किंतु सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में असमानता रहेगी। जल्द से जल्द हमें इस परस्पर विरोध को दूर करना होगा, वर्ना जो असमानता के शिकार होंगे, वे इस राजनीतिक गणतंत्र के ढांचे को उड़ा देंगे। डॉ. आंबेडकर की रणभेरी गूंज उठी, समाज को श्रेणी विहीन और वर्ण विहीन करना होगा, क्योंकि श्रेणी ने इंसान को दरिद्र और वर्ण ने इंसान को दलित बना दिया। जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे लोग दरिद्र माने गए और जो लोग कुछ भी नहीं हैं वे दलित समझे गए।"
इनकी थी भूमिका
महानाट्य में डॉ. आंबेडकर की भूमिका सुधीर पाटील और उनके पिता की भूमिका मिलिंद रामटेके ने निभाई। साथ ही अशोक गवली, माया मंडले, बशीर खान, अशोक वचनेकर, सम्राट गोटेकर, महेश कसलीकर प्रमुख भूमिका में थे। प्रकाश योजना मंगेश विजयकर, संगीत भूपेश सवाई तथा मेकअप नकुल श्रीवास ने किया।