कर्नाटक सरकार अस्पतालों में गैर-जरूरी सी-सेक्शन डिलीवरी पर रोक लगाएगी
कर्नाटक कर्नाटक सरकार अस्पतालों में गैर-जरूरी सी-सेक्शन डिलीवरी पर रोक लगाएगी
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार सरकारी अस्पतालों में अनावश्यक सी-सेक्शन प्रसव कराने की अनैतिक प्रथा पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने तुमकुर में मीडिया से कहा, जिला और तालुका के सरकारी अस्पतालों में अनावश्यक सी-सेक्शन डिलीवरी की निगरानी और जांच के लिए एक समिति बनाई जाएगी। यह देखते हुए कि सी-सेक्शन प्रसव आम तौर पर कुल प्रसवों के 20-40 प्रतिशत के भीतर रहना चाहिए, मंत्री ने कहा कि ऐसे ऑपरेशनों की सिफारिश उन मामलों में नहीं की जानी चाहिए, जिनमें सामान्य प्रसव संभव है।
उन्होंने कहा, अगर जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है तो हम इसे रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करेंगे। जिला सर्जन को हर शुक्रवार को सभी विभाग प्रमुखों के साथ साप्ताहिक बैठक करनी चाहिए और उनके सामने आने वाली किसी भी समस्या का समाधान करना चाहिए। डीसी को नियमित रूप से जिले के अस्पतालों का दौरा करने का भी निर्देश दिया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि राज्य में 438 नम्मा क्लीनिक स्थापित किए जा रहे हैं और उनमें से 288 बनकर तैयार हैं।
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री इस महीने नम्मा क्लीनिक जनता को समर्पित करेंगे और तुमकुर को 10 नम्मा क्लीनिक मिलेंगे। महिला क्लीनिक का नाम आयुषमती क्लिनिक होगा। नम्मा क्लीनिक दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर पड़ोस के क्लीनिक हैं।
सुधाकर ने उस महिला की बड़ी बेटी को 10 लाख रुपये का चेक भी सौंपा, जिसकी तुमकुर जिला अस्पताल में इलाज से इनकार किए जाने के बाद जान चली गई थी। पहचानपत्र नहीं होने पर महिला को अस्पताल से लौटा दिया गया था। बाद में अपने घर में जुड़वां बच्चों को जन्म देने के दौरान उसकी मौत हो गई। मंत्री ने कहा, इस राशि को फिक्स डिपोजिट के रूप में रखा जाएगा, जिसका उपयोग लड़की के 18 वर्ष की होने के बाद उसके भविष्य के लिए किया जा सकता है।
(आईएएनएस)
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