MP में ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी को कमलनाथ का साथ

MP में ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी को कमलनाथ का साथ

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-27 07:57 GMT
MP में ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी को कमलनाथ का साथ

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले चंद दिनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित हो सकते हैं। सिंधिया की दावेदारी को पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ का साथ मिल गया है। कमलनाथ ने कहा है कि 2018 में होने वाला विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में लड़ा जाना चाहिए और इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

लंबे समय से मध्य प्रदेश की सियासी फिजा में कांग्रेस के लिए चेहरा सामने रखकर चुनाव में जाने की बात उठ रही थी। लेकिन ये चेहरा सिंधिया होंगे या कमलनाथ ये साफ नहीं था। अब जबकि कमलनाथ ने खुद सिंधिया के नाम की वकालत कर दी है तो माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने युवा नेता को शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले खड़ा कर सकती है। हालांकि आखिरी फैसला आलाकमान लेगा।

सिंधिया के गढ़ में दिया कमलनाथ ने बयान

दिवंगत कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा की श्रद्धांजलि सभा के लिए मुंगावली जाने से पहले गुना में कमलनाथ ने कहा कि सिंधिया के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

बयान साबित होगा कांग्रेस के लिए बूस्टर

सियासी नजरिए से कमलनाथ का बयान इसलिए बेहद अहम माना जा रहा है कि क्योंकि खुद कमलनाथ के सूबे की सियासत में एंट्री के कयास लगाए जा रहे थे। कमलनाथ प्रदेश का सीएम बनने की इच्छा भी जाहिर कर चुके हैं। यही वजह रही कि 2017 की शुरुआत से ही चेहरा घोषित करने की कांग्रेस की कवायद खिंचती चली जा रही है। लेकिन अब कमलनाथ का समर्थन मिलने के बाद माना जा रहा है कि सिंधिया स्वाभाविक तौर पर पार्टी का चेहरा बनकर उभरेंगे।

सिंधिया को मिलेगा बाकी क्षत्रपों का साथ ?

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बात करें तो वो अलग-अलग मौकों पर प्रदेश की राजनीति से दूर रहने की बात कहते रहे हैं। दिग्विजय वर्तमान में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और युवा नेतृत्व की वकालत करते रहे हैं। इसके अलावा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी हाल के समय में मजबूती से सिंधिया के साथ खड़े दिखाई दिए हैं। राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी भी सिंधिया के करीबी माने जाते हैं। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की बात करें तो अगर सिंधिया को सीएम उम्मीदवार प्रोजेक्ट किया जाता है तो वो PCC चीफ के पद पर बने रह सकते हैं। सिंधिया और यादव दोनों युवा हैं। अरुण यादव लगातार प्रदेश में पदयात्राएं करते हैं, ऐसे में सिंधिया के लिए अच्छे साथी साबित हो सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी सिंधिया साथ आएंगे। बीते दिनों अजय सिंह के विधानसभा क्षेत्र चुहट में सिंधिया की सभा भी हुई थी।

बीजेपी को कितनी चुनौती देंगे सिंधिया ?

मध्य प्रदेश में बीते 14 साल बीजेपी की सरकार है। करीब 12 साल से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी ने साफ कर दिया है कि शिवराज ही 2018 में भी पार्टी का चेहरा होंगे। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबंसी है, लेकिन शिवराज सिंह की छवि पार्टी के लिए चुनाव जीतने में मददगार साबित होती रही है। अगर चुनाव से एक साल पहले ही सिंधिया शिवराज के मुकाबले जमीन पर लड़ाई लड़ते हैं तो पार्टी में फिर से जान फूंक सकते हैं। साथ ही कार्यकर्ताओं के चुनाव जीतने के भरोसे को भी जगा सकते हैं।

 

सिंधिया पर हमलावर होगी बीजेपी

लगता है बीजेपी को पहले ही एहसास हो गया था कि सिंधिया ही कांग्रेस का चेहरा बनेंगे। यही वजह है कि शिवराज सिंह चौहान सिंधिया परिवार के प्रति आक्रामक हुए और बीजेपी ने उनका नाम विवादों में भी घसीटा।

 

सिंधिया के लिए आसान नहीं जिम्मेदारी

सिंधिया अगर प्रदेश में कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार बन भी जाते हैं तो ये जिम्मेदारी उनके लिए किसी कांटों के ताज से कम नहीं होगी। अव्वल तो उन्हें बिखरे हुए संगठन में जान फूंकनी होगी। इसके अलावा अलग-अलग धड़ों में बंटे नेताओं को साथ लाना है। साथ ही बीजेपी के आक्रामक प्रचार और मजबूत संगठन के समानांतर अपनी ब्रिगेड तैयार करनी होगी।

बीजेपी ने ली कमलनाथ के बयान पर चुटकी

बीजेपी नेता हितेष वाजपेयी ने कमलनाथ के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह के बाद कमलनाथ ने एक "स्मार्ट" निर्णय लिया है, कमलनाथ एक परखे हुए वरिष्ठ व पुराने कांग्रेस नेता हैं उन्होंने एक दूरदर्शी दृष्टिकोण से आने वाली कांग्रेस की हार को महसूस कर लिया है और अपने आप को कांग्रेस की इस आने वाली हार से "पृथक" कर लिया है।

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