लोडशेडिंग से सिंचाई बंद, धान उत्पादक किसान परेशान

भंडारा लोडशेडिंग से सिंचाई बंद, धान उत्पादक किसान परेशान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-17 13:20 GMT
लोडशेडिंग से सिंचाई बंद, धान उत्पादक किसान परेशान

डिजिटल डेसस्क, भंडारा ।  लोडशेडिंग व बढ़ते तापमान के बीच फसलों को कैसे बचाया जाए इस दुविधा में जिले के हजारों धान उत्पादक किसान फंसे हुए हैं। किसानों को आम तौर पर 24 में आठ घंटे सिंचाई हेतु बिजली उपलब्ध कराई जा रही थी। किंतु जब धान अंकुरित होने का समय आया तो विद्युत विभाग ने लोडशेडिंग शुरू कर दी। वहीं मार्च माह से ही सूरज आग उगल रहा है। ऐसे में खेतों में लगी फसलें पानी के अभाव में नष्ट हो रही है। बता दें कि जिले में ग्रीष्मकालीन धान की फसल लेने के प्रति किसानों का झुकाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। खरीफ के मौसम में धान फसलों पर किट लगने, कृषि कार्य के लिए मजदूर न मिलने तथा बारिश के चलते फसलों का नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। इसकी तुलना में ग्रीष्मकालीन फसलों को उपज वृद्धि की उम्मीद होती है।

ग्रीष्मकालीन धान फसलों पर कीटों का प्रभाव न के बराबर रहता है। वहीं कृषि कार्य के लिए मजदूर, यंत्र भी आसानी से कम दरों में उपलब्ध हो जाते हैं। इस कारणवश खरीफ की तरह किसान ग्रीष्मकालीन धान फसल लेते हैं। इस बार मार्च माह से गर्मी चरम पर है। तापमान बढ़ने से जलाशय भी सूखने लगे हैं। जिससे फसलों को बचाना चुनौती बनी हुई है। इस बीच बिजली की मांग बढ़ते ही विद्युत विभाग ने किसानों की चिंता किए बिना सीधे लोडशेडिंग बढ़ा दी। ऐसे में जिले के किसानों की हाथ आयी धान की फसल नष्ट हो रही है। इन फसलों को बचाने लाखांदुर तहसील के किसानों ने राज्य के बड़े नेता कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के घर के सामने अनशन शुरू किया। 

लाखांदुर तहसील के सैकड़ों किसानों ने मध्यरात्रि ही विद्युत कार्यालय का घेराव किया। किसानों की मांग पूर्ण नहीं हुई तो यह सिलसिला आगे बढ़ता गया। पवनी तहसील में तीन ग्रामों के किसानों ने विद्युत विभाग के कर्मचारियों की पिटाई कर दी। जबरन लाइन शुरू की। शुक्रवार को सिहोरा क्षेत्र के किसानों ने धरना दिया। किसान फसल बचाने के लिए कुछ दिन ही आठ घंटे बिजली देने की मांग कर रहे हंै। लेकिन किसानों की न तो जनप्रतिनिधि सुन रहे हैं और न ही विद्युत विभाग। ऐसे में लाचार किसान मजबूरी में कानून हाथ ले रहे हैं। अन्नदाताओं की मांग कब पूरी होगी? यह एक अनसुलझी पहेली बनकर रह गई है। 
 


 

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