छत्तीसगढ़ के छात्रों में बढ़ रही है एयरोप्लेन साईंस में अभिरुचि

छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ के छात्रों में बढ़ रही है एयरोप्लेन साईंस में अभिरुचि

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-25 07:30 GMT
छत्तीसगढ़ के छात्रों में बढ़ रही है एयरोप्लेन साईंस में अभिरुचि

डिजिटल डेस्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ के छात्रों में एयरोप्लेन साईंस की तरफ अभिरुचि तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ रीजनल साईंस सेंटर भी इस दिशा में प्रयासरत है। इसके तहत हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग कम वर्कशॉप में छात्रों ने एयरोप्लेन को मॉडल बनाकर उड़ाने के अनुभव को जाना।

आखिर हवाई जहाज कैसे उड़ता है, यह जानने की हर किसी के मन में जिज्ञासा होती है। छात्र इस मामले में सबसे आगे होते हैं। इन छात्रों की जिज्ञासा के समाधान के साथ उनकी अभिरुचि के अनुरुप जानकारी देने के मकसद से राजधानी में छत्तीसगढ़ रीजनल साईंस सेंटर द्वारा आयोजित हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग कम वर्कशॉप का आयोजन किया।

इस कार्यशाला में स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय माना कैम्प के विद्यार्थियों को यह बताया गया कि एयरोप्लेन साईंस किस सिद्धांत पर और कैसे कार्य करता है। इसके पीछे क्या टेक्नोलॉजी है। साथ ही छात्रों ने इसका मॉडल बनाकर उड़ाने का अनुभव भी लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य नवीन खोजों एवं प्रायोगिक क्रियाकलापों को स्वयं सीखने की प्रक्रिया को विकसित करना है।

संस्था के महानिदेशक डॉ. एस. कर्मकार द्वारा संस्था के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस पांच दिवसीय वर्कशॉप के सफलतापूर्वक संपन्न होने की शुभकामनाएं दी। साथ ही अपनी वैज्ञानिक टीम को भविष्य में भी इस तरह के वर्कशॉप के आयोजन हेतु प्रोत्साहित किया।

कार्यशाला प्रभारी परियोजना संचालक डॉ. शिरीश कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान में हम प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के युग में जी रहे हैं। सभी तरफ ऑटोमेशन टेक्नॉलॉजी का प्रसार है। शिक्षण में ऑगमेंटेड रियालिटी और वर्चुअल रियालिटी का इंटरफेस बढ़ गया है। ऐसे में संस्था द्वारा आयोजित इस प्रकार के हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग कम वर्कशॉप से बच्चे रोबोटिक्स, ड्रोन एवं एयरो मॉडलिंग से जुड़े विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को आसानी से समझ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एयरो-मॉडलिंग की कार्यशाला में विद्यार्थियों ने कुछ नया बनाना सीखा। साथ ही अपने रचनात्मकता और सृजनात्मकता का भरपूर उपयोग किया। विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया एयरो प्लेन जब उड़ा तो उनकी खुशी देखते बनती थी।

वैज्ञानिक, अमित कुमार मेश्राम ने कहा कि इस पांच दिवसीय एयरो-मॉडलिंग वर्कशॉप में विद्यार्थियों ने उपलब्ध विज्ञान के सिद्धांतों के अनुप्रयोग से भली-भांति परिचित होते हुए वर्तमान में एविएशन के क्षेत्र में करियर के अवसरों को पहचाना। वैज्ञानिक अधिकारी प्रज्ञा कदम ने बताया कि अपने ही बनाए हुए मॉडल को उड़ता हुआ देखना बच्चों के लिए सपने से कम नहीं था। विषय विशेषज्ञ डॉ. अरुणा राना द्वारा एविएशन के इतिहास में राइट्स ब्रदर्स का योगदान बताने के साथ विमान के उड़ने में उपयोगी वैज्ञानिक सिद्धांत की जानकारी दी।

(आईएएनएस)

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