ढाई साल में 4206 लोग आवारा श्वानों के शिकार, 36 की मौत

विश्व रेबिज दिवस ढाई साल में 4206 लोग आवारा श्वानों के शिकार, 36 की मौत

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-28 08:43 GMT
ढाई साल में 4206 लोग आवारा श्वानों के शिकार, 36 की मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आवारा श्वानों पर नियंत्रण करना मनपा की जिम्मेदारी है। मनपा प्रशासन इसमें विफल हो रही है। परिणामस्वरूप साल दर साल आवारा श्वानांे की संख्या बढ़ रही है। लोगों को हर रोज कहीं न कहीं आवारा श्वानों  के हमले का शिकार होना पड़ता है। उनके काटने से रेबिज  का खतरा पैदा हो जाता है। रेबिज  का इलाज समय पर नहीं होने से यह जीवाणु दिमाग तक पहुंच जाते हैं। इससे मरीज की मौत हो जाती है। रेबिज  से सर्वाधिक मौत 15 साल तक के बच्चों की होती है। अकेले मेडिकल में पिछले ढाई साल में 36 मरीजों की मौत हुई है। इसके अलावा अन्य जानवरों के काटने के 4196 मामले सामने आए हैं।

2019 में हुए थे 2178 शिकार
विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल रेबिज  से 60 हजार लोग मरते हैं। इनमें से 40 फीसदी की मौत हमारे देश में होती है। पागल श्वानों  के काटने पर 97 फीसदी रेबिज  होने का खतरा बना रहता है। ऐसे श्वानों की लार से रेबिज होता है। काटने पर यह लार रक्त धमनियों में प्रवेश कर दिमाग तक पहुंचती है। इस तरह व्यक्ति रेबिज ग्रस्त होकर मरने की अवस्था तक पहुंचता है। जिन श्वानांे का टीकाकरण नहीं हुआ है, ऐसे श्वानांे के काटने पर रेबिज  की संभावना शत प्रतिशत होती है। रेबिज  के जीवाणु शरीर में प्रवेश करने पर पानी का डर खत्म हो जाता है। सिरदर्द, पैरों में कमजोरी, लकवा, हृदयविकार का खतरा बना रहता है। मेडिकल में 2019 में 2178, 2020 में 1305 व 2021 में 723 मामले सामने आए हैं। इनमें आवारा श्वान व अन्य जानवरों के काटने से बाधितों का समावेश है। 

नसबंदी व टीकाकरण का अभाव
आवारा श्वानांे  पर नियंत्रण और उनकी बढ़ती संख्या पर रोक लगाना मनपा की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद शहर में हर साल आवारा श्वानों की संख्या बढ़ रही है। मेडिकल और मनपा का अलग-अलग रिकॉर्ड है। प्राणी मित्र स्वप्निल बोधाने व पशुचिकित्सक डॉ. मयूर काटे के अनुसार शहर में 2020 में 1369 और 2021 में 2196 मामले आए। यह आंकड़े मनपा अस्पतालों के हैं। इनमें रेबिज  का अलग से उल्लेख नहीं है। उन्होंने बताया कि एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम 2001 के अनुसार आवारा श्वानों के लिए व्यापक स्तर पर नसबंदी अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्हें पकड़कर रेबिज  का टीकाकरण करना चाहिए। लेकिन समय-समय पर यह अभियान फीका पड़ने से आवारा श्वानों की संख्या बढ़ रही है।

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