ग्रामीण क्षेत्र में कृषि उपज की "खेड़ा खरीदी' जोरों पर
कृषि उपज ग्रामीण क्षेत्र में कृषि उपज की "खेड़ा खरीदी' जोरों पर
डिजिटल डेस्क, यवतमाल । तहसील के ग्रामीण क्षेत्र में नवरात्रि शुरू होते ही व्यापारियों ने गांव-गांव जाकर सोयाबीन, कपास आदि कृषि उपज की खरीदी शुरू कर दी है। आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे लोग अपना माल काफी कम दाम में इन व्यापारियों को बेचकर अपनी जरूरत के लिए पैसे जुटाते दिखाई दे रहे हैं। बीते दो खरीफ मौसम किसानों के लिए अच्छे नहीं रहे। एक ओर लोग कोरोना संकट की मार झेल रहे है।
बीते दो वर्ष से कई लोगों के रोजगार चले जाने से लोग बड़ी संख्या में अपने गांव लौट आए हैं। घर की थोड़ी खेती और मजदूरी कर गुजारा चला रहे है। लेकिन बीते वर्ष लौटते मानसून के चलते खरीफ फसलों का काफी नुकसान हुआ था। जिसके बाद इस वर्ष अच्छी पैदावार होने की उम्मीद लगाई जा रही थी। लेकिन बीते सप्ताह तक बारिश शुरू रहने से इस वर्ष भी सोयाबीन और कपास फसल का तहसील में काफी नुकसान हुआ है। खरीफ की शुरूआत में किसानों ने बैंक से कर्ज लिया तो कई लोगों ने अपने घर का सोना, चांदी आदि गिरवी रखकर पैसे जुटाए थे।
अब फसल पूरी तरह हाथ में नहीं आई लेकिन साहूकार उनके घर के चक्कर काट रहे हैं। उनसे लिया हुआ उधार चुकाने के लिए अपनी हाथ आई उपज गांव में ही आए खरीददारों को बेच रहे है। गांव-गांव में घूम रहे इन खरीददारों के पास व्यापार का अधिकृत लाइसेंस है या नहीं इसकी भी पड़ताल नहीं की जा रही है। उनके वजन कांटे कितने सही है इसे लेकर भी सवाल उपस्थित किए जा रहे हैं।