सुबह मां का आंचल छूटा, चार घंटे बाद उठा पिता का साया पति पत्नी में अनबन से अनाथ हुए दो मासूम, न संबल का बल न बीमा का सहारा

छिंदवाड़ा सुबह मां का आंचल छूटा, चार घंटे बाद उठा पिता का साया पति पत्नी में अनबन से अनाथ हुए दो मासूम, न संबल का बल न बीमा का सहारा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-26 15:29 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। कृतिक पराडक़र उम्र ६ साल, सक्षम पराडक़र उम्र ४ साल, भोरतलाई गांव के बाहर सडक़ किनारे खेलते दो मासूम बच्चों को यह अहसास नहीं है कि वे अब अनाथ हो चुके हैं। कभी दादी के पास तो कभी बुआ के पास बैठकर ये बच्चे बतियाते हैं तो कभी खिलौना लेकर मस्ती करने लगते हैं। पति-पत्नी की अनबन के कारण पहले इन बच्चों के सिर से मां का आंचल छूट गया तो चार घंटे बाद पिता का साया भी उठ गया। अनाथ हो चुके इन बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए न तो संबल योजना का बल है न किसी बीमा योजना का सहारा।

छिंदवाड़ा बैतूल सडक़ मार्ग पर बदनूर से रजाड़ा तक बने पहुंच मार्ग के किनारे स्व. रमेश पराडक़र का पैतृक खेत है। उनके बेटे तेजराम और यशवंत के अलग-अलग मकान हैं। बुधवार को यशवंत और उसकी पत्नी मिथलेश के बीच किसी बात पर अनबन हुई। मिथलेश ने जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया। उसे पहले जिला अस्पताल लाया गया, फिर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। गुरुवार की सुबह ६ बजे मिथलेश ने एक अस्पताल में दम तोड़ दिया तो सुबह लगभग १० बजे यशवंत की सडक़ हादसे में मृत्यु हो गई। गुरुवार की देर शाम यशवंत के मकान में दो शव एक साथ पहुंचे। बेहद कम समय में अंतिम संस्कार की रीति निभाकर दोनों शवों की अंत्येष्टि कर दी गई। इस घर में अब सन्नाटा पसरा है। परिजन और ग्रामीण दोनों बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

न बीपीएल कार्ड न संबल कार्ड

परिजनों से चर्चा में पता चला कि यशवंत के परिवार में मां, पत्नी और दोनों बच्चे शामिल हैं। इनका बीपीएल सूची में नाम नहीं है। बैंक खाते में कोई जमा पूंजी भी नहीं है। लगभग सात एकड़ जमीन में मां तुलसाबाई के साथ तेजराम, यशवंत के साथ चार बहनों के नाम भी दर्ज हैं। खेती करने परिवार का भरण पोषण करने वाले यशवंत के पास कोई जमा पूंजी नहीं है जिससे बच्चों का स्थाई गुजारा हो सके। यशवंत व मिथलेश का बड़ा बेटा कृतिक कक्षा पहली का छात्र है तो वहीं छोटा बेटा सक्षम नर्सरी में है। ये दोनों बच्चे एक निजी स्कूल में पढ़ते हैं। ६३ वर्षीय तुलजाबाई बेटा और बहू को खोने के बाद बेसुध सी हैं।
इनका कहना है
माता-पिता को खो चुके दोनों बच्चों को सरकारी योजनाओं से मदद दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
-रामदास पवार सरपंच
छोटे भाई के बच्चों की परवरिश अब मेरी जिम्मेदारी है, यह प्रयास रहेगा कि उन्हें कोई कमी न हो।
-तेजराम पराडक़र
ऐसे बच्चों को बाल आरोग्य संवर्धन योजना के साथ सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ दिलाया जा सकता है।
-मोनिका बिसेन, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी

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