पहले चरण के 115 उम्मीदवारों में 19 क्रिमिनल केस वाले

पहले चरण के 115 उम्मीदवारों में 19 क्रिमिनल केस वाले

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-06 14:36 GMT
पहले चरण के 115 उम्मीदवारों में 19 क्रिमिनल केस वाले

डिजिटल डेस्क ,मुंबई। राज्य में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में चुनाव मैदान मे उतरे 115 उम्मीदवारों में 19 उम्मीदवार आपराधिक रिकार्ड वाले हैं। इनमें से 10 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर अपराध दर्ज हैं। एडीआर-महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच के सर्वे में यह बात सामने आई है। इन सीटों पर चुनाव लड़ रहे भाजपा-कांग्रेस के सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं। 

पहले चरण में विदर्भ की सात सीटों वर्धा, रामटेक, नागपूर, भंडारा-गोंदिया, गडचिरोली-चिमूर, चंद्रपुर और यवतमाल-वाशिम के लिए आगामी 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इन सीटों पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के शपथ पत्रों के विश्लेषण से जो जानकारी आई है, उसके अनुसार सर्वाधिक आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवारों में प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाले वंचित बहुजन आघाडी के सात में से दो, कांग्रेस के 6 में से दो, भाजपा के पांच में से दो और शिवसेना के दो में से एक उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। कांग्रेस के सभी 6 और भाजपा के सभी पांच उम्मीदवार करोडपति हैं। पहले चरण के उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ढाई करोड़ रुपए से अधिक है। चुनाव लड़ रहे 115 में से 11 उम्मीदवारों ने अपनी आय का जरिया नहीं बताया है। जबकि 48 उम्मीवारों ने इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है।   

10 सर्वाधिक धनी उम्मीदवार        
1.    सुनील मेंढे-भाजप (भंडारा-गोंदिया)...............62 करोड़ 75 लाख रूपये
2.    नितीन गडकरी-भाजप (नागपूर)...................18 करोड़ 79 लाख रूपये
3.    परशराम आडे-अपक्ष (यवतमाU-वाशिम).......18 करोड़ 73 लाख रूपये
4.    सुरेश धानोरकर-कांग्रेस (चंद्रपूर)....................13 कोटी 74 लाख रूपये
5.    चारूलता टोकस-कांग्रेस (वर्धा)..................13  करोड़ 61 लाख रूपये
6.    शैलेशकुमार अग्रवाल-बसपा (वर्धा)...............13 करोड़ 51 लाख रूपये
7.    धनराज वंजारी-वंचित आघाडी (वर्धा)..............9 करोड़ 76 लाख रूपये
8.    भावना गवली-शिवसेना (यवतमाल-वाशिम)........9 करोड़ 68 लाख रूपये
9.    कृपाल तुमाणे-शिवसेना (रामटेक).................  8 करोड़ 85 लाख रूपये
10.सुरेश माने-बीआरएसपी (नागपुर).................        8 करोड़ 45 लाख रूपये

उल्लेखनीय है कि साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को ही जनप्रतिनिधि के रूप में चुनने का आह्वान किया जाता है जबकि जनप्रतिनिधि बनने की दौड़ में शामिल  लोग क्रिमिनल केस वाले हैं जो चिंता का विषय भी है।

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