इधर एक सप्ताह तक नहीं दिखेंगे गणराज, उधर जान जोखिम में डाल कैमरे में कैद किए जा रहे वनराज

चर्चा इधर एक सप्ताह तक नहीं दिखेंगे गणराज, उधर जान जोखिम में डाल कैमरे में कैद किए जा रहे वनराज

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-01 08:59 GMT
इधर एक सप्ताह तक नहीं दिखेंगे गणराज, उधर जान जोखिम में डाल कैमरे में कैद किए जा रहे वनराज

डिजिटल डेस्क,चंद्रपुर/गड़चिरोली। वनसंपदा और जैवविविधता से समृद्ध गड़चिरोली और चंद्रपुर जिले में वन्यजीवों के दीदार आम बात हो चुकी है। वन्यजीव प्रेमी अक्सर अपने शौक को पूरा करने वनों में सैरसपाटा करने निकल पड़ते हें। लेकिन फिलहाल एक सप्ताह तक वन्यप्रेमियों को सिरोंचा(गड़चिरोली)के हाथी कैम्प में हाथियों का दीदार नहीं हो पाएगा, वहीं चंद्रपुर जिले में ताड़ोबा पर्यटकों के लिए बंद होने के बावजूद सड़कों पर मुक्त विचरण करते बाघ दहशत का कारण बन रहे हैं। हालांकि कुछ अतिउत्साही लोग बेखौफ मात्र 10-15 फीट की दूरी से बाघ का वीडियो निकालने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। हाल ही में ऐसा ही एक वीडियो जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।

गड़चिरोली  : राज्य के एकमात्र सिरोंचा वनविभाग के कमलापुर हाथी कैम्प के हाथियों का गुजरात में स्थानांतरण के सरकारी निर्णय के बीच वनविभाग ने हाथियों के स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाए रखने की प्रक्रिया शुरू की है। आगामी 7 दिनों तक कैम्प में मौजूद सभी 8 हाथियों पर आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार शुरू किया गया है। अब यहां पहुंच रहें पर्यटकों को एक सप्ताह तक हाथियों का दीदार नहीं होगा।  बता दें कि, लगातार बढ़ रही ठंड के कारण हाथियों के पांव में जख्म होने की आशंका  बनी रहती है। हाथियों को इस तरह के नुकसान से बचाने के लिए वनविभाग ने उन पर आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने का फैसला लिया है। विभिन्न प्रकार की तकरीबन 44 आयुर्वेदिक वनौषधियों का मिश्रण तैयार कर हाथियों के पांव में चोपिंग की जा रही है। चोपिंग की इस प्रक्रिया से हाथियों के पांव सुरक्षित बने रहते हैं।  साथ ही हाथियों का स्वास्थ्य भी सुदृढ़ बना रहता है। रविवार से इस प्रकार का इलाज हाथियों पर शुरू किया गया है। कैम्प से करीब 1 किमी दूर जंगल में यह इलाज शुरू किया गया है। एक सप्ताह की कालावधि में ये हाथी इसी 1 किमी के दायरे में विचरण करेंगे |

फलस्वरूप यहां पहुंच रहे पर्यटक अब एक सप्ताह तक हाथियों का दीदार नहीं कर पाएंगे। कमलापुर के वनरिक्षेत्र अधिकारी पझारे ने इस संदर्भ में बताया िक, प्रात:काल में ही हाथियों के पांव पर आयुर्वेदिक जड़ीबुटियों का लेप लगाया जाता है। इस लेप में हिरड़ा, बीबा, बेहड़ा, सुंठ, त्रिफला, फल्ली तेल, डिकामाली, ओवाफूल, अस्मानतारा, मोम, साबून, इलायची, गेरू, कत्था, हिंग, जायफल, सागरगोटा, मांजूफल समेत अन्य प्रकार की वनौषधियां मिश्रित की जाती हैं। इस कार्य के लिए पशवैद्यकीय अधिकारियों की टीम के साथ वनविभाग के कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। आगामी सात दिनों तक सभी 8 हाथियों पर इसी तरह का उपचार जारी रहेगा। 

 चंद्रपुर : अपनी जान को जोखिम में डालकर बाघ की तस्वीरें लेते फोटोग्राफर का वीडियो साेमवार 31 जनवरी को सामने आया है। शहर में इस वीडियो की दिन भर चर्चा थी। कुछ लोग युवक के साहस की सराहना कर रहे हैं तो कुछ लोग जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाला यह खेल क्यों? ऐसा सवाल प्रस्तुत कर रहे हैं। चंद्रपुर जिले के प्रतिबंधित क्षेत्र में बाघों की फोटो खींचने के तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हंै। 

वायरल वीडियो से साफ है कि 10 से 15 फीट की दूरी से ही फोटो की ख्वाहिश पूरी कर रहे हैं। ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से बाहर निकले बाघ अब जिले के सभी हिस्सों में घूम रहे हैं। इन बाघों की बेहतरीन वीडियो-फोटो के लिए शौकिया फोटो-वीडियोग्राफर वन्य जीवन के बुनियादी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। वन विभाग को ऐसे अति उत्साही लोगों को खोजने और उन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। जिले के कई हिस्सों में बाघ सड़कों पर आसानी से देखे जा सकते हैं। पर ताजा वायरल वीडियो में दिख रहा है कि, बाघ का पीछा कर उसकी फोटो-वीडियो लेने का क्रेज जान को जोखिम में डाल सकता है। पहली नजर में वीडियो चंद्रपुर औष्णिक विद्युत केंद्र के परिसर का होने की चर्चा है। 
 

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