हाईकोर्ट ने पूछा- शहर में कैसे हो रही प्रदूषित पेयजल की सप्लाई

हाईकोर्ट ने पूछा- शहर में कैसे हो रही प्रदूषित पेयजल की सप्लाई

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-24 09:20 GMT
हाईकोर्ट ने पूछा- शहर में कैसे हो रही प्रदूषित पेयजल की सप्लाई

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन, नगर निगम, कलेक्टर और पीएचई विभाग से पूछा है कि जबलपुर में 90 प्रतिशत क्षेत्रों में प्रदूषित पेयजल की सप्लाई क्यों की जा रही है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने अनावेदकों को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।

पाइप लाइन में सीवर वाटर मिक्स हो जाता है
रसल चौक निवासी कांग्रेस नेता और समाजसेवी सौरभ शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि जबलपुर शहर में लोगों के घर तक पहुंचने वाली पेयजल पाइप लाइन नाले और नालियों से होकर गुजरती है। नाले और नालियों से गुजरने वाली पाइप लाइन में सीवर वाटर मिक्स हो जाता है। शहर में यह स्स्थिति 90 प्रतिशत क्षेत्रों में है। याचिका के साथ नाले और नालियों से निकलने वाली पाइप लाइनों के फोटोग्राफ भी पेश किए गए। याचिका में कहा गया कि घरों तक पहुंचने वाला पेयजल दिखने में तो बिल्कुल साफ दिखता है, लेकिन जब अलग-अलग क्षेत्रों के पेयजल की जांच कराई तो उसमें ई-कॉली और कॉलीफार्म जैसे घातक बैक्टिरिया पाए गए। याचिका के साथ पेयजल की जांच रिपोर्ट भी लगाई गई है। ई-कॉली और कॉलीफार्म बैक्टिरिया की वजह से किडनी फेल होने, कैंसर और पेट संबंधी बीमारियां हो रही है। याचिका में कहा गया कि नगर निगम और कलेक्टर को शहर में स्वच्छ पेयजल सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पीयूष भटनागर ने तर्क दिया कि नगर निगम की जिम्मेदारी नागरिकों को स्वच्छ पेयजल सप्लाई करने की है, लेकिन नगर निगम नागरिकों को स्वच्छ पेयजल देने में पूरी तरह विफल रहा है। इसको देखते हुए नगर नगम को भंग कर कलेक्टर को प्रशासक नियुक्त किया जाए। याचिका में नागरिकों का वाटर टैक्स माफ करने की भी मांग की गई है।

राज्य सूचना आयोग के  साथ ही पीडब्ल्यूडी के एसई को नोटिस
हाईकोर्ट में आरटीआई के तहत सरकारी कर्मचारी के जाति-प्रमाण को निजी जानकारी मानने को चुनौती दी गई है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने राज्य सूचना आयोग, पीडब्ल्यूडी विभाग और जबलपुर पीडब्ल्यूडी के एसई एससी वर्मा से चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है। जबलपुर निवासी एके सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उन्होंने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जबलपुर पीडब्ल्यूडी में एसई एससी वर्मा के नियुक्ति के समय प्रस्तुत योग्यता प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र और नियुक्ति के समय की चल-अचल संपत्ति की जानकारी मांगी थी। राज्य सूचना आयोग ने यह कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया कि यह उनकी निजी जानकारी है। याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत अवस्स्थी, आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी और आनंद शुक्ला ने तर्क दिया कि किसी व्यक्ति द्वारा जिन दस्तावेजों के आधार पर नौकरी अर्जित की गई है। उसे निजी जानकारी की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने सर्कुलर जारी कर आरक्षण के आधार पर नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के जाति प्रमाण-पत्र को अधिकारिक बेवसाइट पर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। जिससे सामान्य नागरिक जाति प्रमाण-पत्र को देख सके। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

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