आधे महाराष्ट्र में गिरा भूजल स्तर, पिछले दस साल में बिगड़े हालात
आधे महाराष्ट्र में गिरा भूजल स्तर, पिछले दस साल में बिगड़े हालात
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में इन दिनों जलसंकट के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसी बीच नागपुर समेत लगभग आधे महाराष्ट्र में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। नागपुर स्थित सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के आकंड़ों और मानचित्रों से साफ है कि पिछले दस वर्षों में राज्य के 50 फीसदी क्षेत्र में भूजल स्तर में गिरावट आई है। मानचित्रों के अध्ययन से यह भी स्पष्ट है कि सबसे अधिक गिरावट मराठवाड़ा और विदर्भ में दर्ज की गई है।
यह है प्रक्रिया
नागपुर के आसपास के इलाकों में पिछले दस वर्ष में भूजल स्तर में 2 से 4 मीटर की गिरावट दर्ज हुई है। भूजल की गुणवत्ता और मात्रा में दीर्घकालीन बदलावों के अध्ययन के लिए बोर्ड की ओर से क्षेत्र में 1874 कुओं के पानी का वर्ष में चार बार जांच किया जाता है। बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, विदर्भ के नागपुर समेत यवतमाल, चंद्रपुर, अकोला, अमरावती में भूजल स्तर में चार मीटर गिरावट दर्ज की गई है।
हो सकते हैं सूखा जैसे हालात
विशेषज्ञों के अनुसार लगातार कम होते भूजल स्तर का कारण क्षेत्र में वर्षा की कमी है। अगर क्षेत्र में लगातार कम वर्षा की स्थिति रहती है तो भूजल स्तर में और कमी आ सकती है, जिससे आने वाले समय में सूखा जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रीन एरिया में कमी
शहर में बढ़ते क्रंकीट के जंगल से ग्रीन एरिया को कम कर दिया है। इसका असर भूजल स्तर पर पड़ रहा है। पेड़ पानी को जमीन में रिसने में मदद करते हैं। पेड़ों के अभाव में पानी बरसने के बाद सीधे बहकर नालों में मिल जाता है। शहर में बड़े झीलों की संख्या दिनों-दिन कम होती जा रही है। जल स्रोतों के कैचमेंट एरिया में निर्माण का भी दुष्प्रभाव भूजल स्तर पर पड़ रहा है।
डॉ. जयदीप दास, पर्यावरणविद
वॉटर हार्वेस्टिंग की जरूरत
भविष्य में नागपुर को पानी की किल्लत से बचाने के लिए शहरवासियों को जागरूक होने की जरूरत है। शहर में अब भी वॉटर हार्वेस्टिंग लोकप्रिय नहीं हो पाया है। भूजल स्तर को बनाए रखने के आज वॉटर हार्वेस्टिंग की जरूरत है। इससे वर्षा के अधिक से अधिक पानी को भूमि में सहेजने में मदद मिलेगी।
वसुधा राव, पर्यावरण प्रेमी
बढ़ता सीमेंटीकरण खतरनाक
शहर में सड़क समेत हर खुली जगह का सीमेंटीकरण पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है। सीमेंटीकरण के कारण जमीन में पानी का पर्काेलेशन नहीं हो पाता है। शहर में फिलहाल आधे से अधिक सड़कों का सीमेंटीकरण हो चुका है और दिनों-दिन खुली जगह कम होती जा रही है।
पराग दुधे, निसर्ग कार्यकर्ता