सरकार ने 2.56 लाख करोड़ का बजट किया पेश, दलित बंधु के लिये 17,700 करोड़ का आवंटन

तेलंगाना सरकार ने 2.56 लाख करोड़ का बजट किया पेश, दलित बंधु के लिये 17,700 करोड़ का आवंटन

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-07 14:30 GMT

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। तेलंगाना के वित्त मंत्री टी हरीश राव ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये सोमवार को विधानसभा में 2.56 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। पिछले साल 2.31 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था। बजट पेश करते हुये उन्होंने अगले वित्त के लिये 2,56,958.51 करोड़ रुपये के व्यय का प्रस्ताव रखा, जिसमें से 1,89,274.82 करोड़ रुपये राजस्व व्यय और 29,728.44 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय है। सरकार ने दलित बंधु योजना के लिये 17,700 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। यह योजना गत साल शुरू की गयी है। इसका उद्देश्य राज्य की दलित आबादी का सशक्तिकरण है। इस योजना के तहत प्रत्येक दलित परिवार को अपनी पसंद के किसी कारोबार के लिये 10 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।

हरीश राव ने कहा कि यह लाभार्थियों को प्रत्यक्ष मदद के रूप में सर्वाधिक रकम देने वाली ऐतिहासिक और अनूठी योजना है। राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों के 11,800 दलित परिवारों को इस योजना का लाभ मिलेगा। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100 परिवार की दर से यह योजना चलायी जायेगी। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले इस योजना के दायरे में दो लाख परिवार आ जायेंगे और सरकार चरणबद्ध तरीके से राज्य के सभी दलित परिवारों तक इस योजना का लाभ पहुंचायेगी।

उन्होंने कहा कि तेलंगाना कोरोना महामारी के आर्थिक कहर से तेजी से उबरा है। अग्रिम अनुमानों के मुताबिक सकल राज्य घरेलू उत्पाद चालू वित्त वर्ष में 11.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगा। उन्होंने कहा कि 2013-14 के दौरान राज्य के सृजन के समय तेलंगाना का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 4,54,580 करोड़ रुपये था और यह तेजी से बढ़ता हुआ 2021-22 के दौरान 11,54,860 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण देश के जीडीपी और देश के कई राज्यों की जीएसडीपी में नकारात्मक वृद्धि देखी गयी लेकिन तेलंगाना का जीएसडीपी 2020-21 के दौरान 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा।

हरीश राव ने कहा कि देश के जीडीपी में तेलंगाना का योगदान वर्ष 2014-15 के 4.06 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 4.97 प्रतिशत हो गया। तेलंगाना ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करीब एक फीसदी बढ़ा है। उन्होंने बताया कि तेलंगाना के उद्योग क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र और निर्माण क्षेत्र सबने 2020-21 के दौरान अच्छी वृद्धि की है। वित्त मंत्री ने दावा किया कि तेलंगाना में प्रति व्यक्ति आय 2021-22 के दौरान 2,78,833 रुपये रही, जो राष्ट्रीय औसत से 1.86 गुणा अधिक है।

हरीश राव ने बजट पेश करते हुये केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुये कहा कि केंद्र सरकार राज्य के विकास में बाधायें खड़ी कर रही है। केंद्र सरकार प्रोत्साहित करने के बजाय हतोत्साहित कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि नीति आयोग ने मिशन भगीरथ और मिशन काकतीय के लिये 24,205 करोड़ रुपये आवंटित करने की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र सरकार ने 24 पैसे भी अब तक जारी नहीं किये। 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 के दौरान विशेष अनुदान के रूप में तेलंगाना को 723 करोड़ रुपये जारी करने की सिफारिश की लेकिन इसे भी नहीं माना गया।

उन्होंने कहा कि इसी तरह राज्य विशेष अनुदान के 2,362 करोड़ रुपये और क्षेत्र विशेष अनुदान के 3,024 करोड़ रुपये भी तेलंगाना सरकार को नहीं दिये गये। इस तरह केंद्र सरकार ने तेलंगाना को 5,386 करोड़ रुपये नहीं दिये। केंद्र सरकार ने यहां तक कि कोरोना से निपटने के लिये भी कोई आर्थिक सहायता नहीं दी। उन्होंने कहा कि राज्य के पुनर्गठन अधिनियम में किये गये वादों को भी पूरा नहीं किया गया। हरीश राव ने कहा कि और ये कम नहीं लगा तो जब भी तेलंगाना के गठन पर चर्चा होती है तो यह कहा जाता है कि यह बिल्कुल ऐसे है जैसे बच्चे को बचाने के लिये मां की जान ली जा रही है। ये टिप्पणियां केंद्र सरकार के वरिष्ठ नेता कहते हैं और यह तेलंगाना के लोगों का अपमान है।

उन्होंने कहा कि एफआरबीएम के तहत लिया गया अधिक ऋण विद्युत क्षेत्र में बदलाव से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि अगले पांच साल तक तेलंगाना को 25,000 करोड़ रुपये नहीं मिलेंगे और इसी रकम के लिये राज्स सरकार को बिजली क्षेत्र में कई बदलाव करने पड़े, जो खासकर किसानों के प्रतिकूल है। राज्य सरकार नहीं चाहती कि किसानों को बिजली के लिये भुगतान करना पड़े। यह तेलंगाना की नीति नहीं है। मुख्यमंत्री केसीआर ने केंद्र सरकार को कह दिया है कि जब तक वह जीवित हैं ऐसी योजना लागू नहीं होगी।

(आईएएनएस)

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