चुनावी ड्यूटी में घायल शिक्षकों को सरकार ने नहीं दी फूटी कौड़ी, चंदा जमा कर इलाज कराने की नौबत
चुनावी ड्यूटी में घायल शिक्षकों को सरकार ने नहीं दी फूटी कौड़ी, चंदा जमा कर इलाज कराने की नौबत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनाव ड्यूटी के दौरान सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी शिक्षकों को शासन व प्रशासन से अब तक फूटी कौड़ी की मदद नहीं मिली। जान पर खेलकर चुनाव ड्यूटी करनेवाले कर्मचारियों के साथ शासन का इस तरह का रवैया कर्मचारियों के मनोबल को कमजोर कर सकता है। जख्मी शिक्षकों की जान अब खतरे से बाहर है, लेकिन इलाज के नाम पर दोनों शिक्षकों के लाखों रुपए खर्च हो गए। साथी शिक्षक पैसा इकट्ठा कर आर्थिक मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।
इन्हें भी मदद की जरूरत
याद रहे रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मेें चुनाव ड्यूटी पूरी करके वापस लौटते समय हुई सड़क दुर्घटना में चार शिक्षक गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इनमें से नुकेश नारायणराव मेंढुले व पुंडलिक बालाजी बाहे की मौत हो गई थी। जिला प्रशासन ने इस संबंध में सानुग्रह अनुदान का प्रस्ताव राज्य निर्वाचन अधिकारी को भेजा था। वहां से प्रस्ताव को मंजूरी देकर राज्य सरकार को भेजा गया था। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख का सानुग्रह अनुदान जारी किया। जिला प्रशासन के माध्यम से मृतकों के परिजनों (वारिसों) को अनुदान दिया जा रहा है। राज्य निर्वाचन कार्यालय या राज्य सरकार ने चुनाव ड्यूटी के दौरान जख्मी शिक्षकों के लिए अब तक फूटी कौड़ी की मदद नहीं की। दोनों शिक्षक जिला परिषद के शिक्षण विभाग के मातहत काम करते हैं।
हर जगह गुहार
जिला परिषद के शिक्षणाधिकारी (हाईस्कूल) शिवलिंग पटवे ने घायल शिक्षकों से मुलाकात की आैर आर्थिक मदद दिलाने का वादा किया, लेकिन अब तक किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं मिल सकी। घायल शिक्षक नरेंद्र पिंपरे व विजय बहरुपी की हालत खतरे से बाहर है। दोनों शिक्षकों का इलाज पर चार लाख से ज्यादा खर्च हुआ आैर अगले दो-तीन महीने तक इनका सामान्य रूप से काम करना संभव नहीं है। साथी शिक्षकों ने पैसा जमा करके थोड़ी बहुत आर्थिक मदद की, लेकिन यह नाकाफी है। पीड़ित परिवारों ने लोगों से उधार लेकर अस्पताल के बिल का भुगतान किया। शिक्षक संगठनों ने जिला प्रशासन व शिक्षणाधिकारी को निवेदन देकर घायलों को आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई। शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियाें ने निवासी उपजिलाधीश व शिक्षणाधिकारी से भेंट करके तुरंत आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई।
आर्थिक मदद जरूरी
दोनों शिक्षक चुनाव ड्यूटी में थे। शासन से दोनों को आर्थिक मदद मिलनी ही चाहिए। संगठन के माध्यम से आवाज उठाई गई। अब तक मदद नहीं मिलना बेहद चिंतनीय है। चुनाव आयोग व शासन ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।
-सोहन चवरे, अध्यक्ष कास्ट्राइब कर्मचारी संगठन जिला परिषद नागपुर
आश्वासन मिला, मगर मदद नहीं
जख्मी शिक्षकों को आर्थिक मदद मिले, इसलिए जिलाधीश को निवेदन दिया। जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। हर बार आश्वासन मिला। तुरंत मदद नहीं मिली तो चुनाव में काम करनेवाले कर्मचारियों का भरोसा उठ जाएगा। हम चुप नहीं बैठेंगे। सभी शिक्षक संगठन घायल शिक्षकों के साथ हैं।
-राजेंद्र झाड़े, प्रदेश उपाध्यक्ष शिक्षक भारती महराष्ट्र
निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजा
मृतकों व जख्मियों को आर्थिक मदद संबंधी प्रस्ताव राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा गया है। मृत शिक्षकों को 15-15 लाख की आर्थिक मदद मिली। जख्मी शिक्षकों को भी आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है। जिला प्रशासन की तरफ से कोशिश जारी है।
-रवींद्र खजांजी, निवासी उपजिलाधीश नागपुर
स्पेशल लिव दी जा सकती
घायल शिक्षकों को शासन से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। कुछ महीने स्कूल नहीं जाने पर इनका वेतन नहीं कटना चाहिए। जरूरी हुआ तो घायल शिक्षकों को स्पेशल लिव (विशेष अवकाश) दी जा सकती है।
-शिवलिंग पटवे, शिक्षणाधिकारी जिला परिषद नागपुर