इथेनाल से बन रहा अच्छा वातावरण - डॉ. जांभेकर
इथेनाल से बन रहा अच्छा वातावरण - डॉ. जांभेकर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इथेनॉल पर वाहन चलाने के लिए सोलह वर्ष पूर्व काम शुरू किया गया। पेटेंट किया और पिछली सरकार से इथेनॉल पर वाहन चलाने को लेकर चर्चा की गई, लेकिन प्रतिसाद नहीं मिल पाया। पांच साल पहले सरकार बदलने पर सकारात्मक प्रतिसाद मिला। आज देश में इथेनॉल, जैव ईंधन उत्पादन के लिए अच्छा वातावरण है। यह बात संशोधन व ग्रीन क्रूड एंड बायोफ्यूल फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. हेमंत जांभेकर ने कही ।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के जैव ईंधन की स्वप्नपूर्ति के लिए गठित की गई ग्रीन क्रूड एंड बायोफ्यूल फाउंडेशन व विश्वेश्वरय्या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्था द्वारा वीएनआईटी के भौतिकशास्त्र सभागृह में ‘जैव ईंधन जनजागृति व बुद्धिशिलता’ विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया । मंच पर वीएनआईटी के संचालक प्रा. पी.एम. पडोले, वीएनआईटी बीओजी के चेयरमैन विश्राम जामदार उपस्थित थे। इस अवसर पर फाउंडेशन के सचिव अजित पारसे, वीएनआईटी में रसायन शास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक सचिन मांडगवणे, फाउंडेशन के सहसचिव अनिल मालवीय ने इथेनॉल निर्माण, बाजार, किसानों को लाभ, आर्थिक स्वतंत्रता पर विचार रखे। डॉ. जांभेकर ने कहा कि, तत्कालीन सरकार ने इथेनॉल निर्मिती के लिए मदद नहीं करने पर केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से चर्चा की।
उन्होंने सकारात्मक प्रतिसाद दिया। आज देश में 1 करोड़ 3 लाख लीटर इथेनॉल तैयार होता है। लेकिन इसे बड़े पैमाने पर शराब बनाने के लिए उपयोग किया जा रहा है। जिस कारण इथेनॉल का निर्माण बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए आलू से यह संभव होने का दावा किया गया। श्री जांभेकर ने कहा कि अब तक खेत के कचरे से इथेनॉल तैयार होता था। लेकिन किसानों ने बड़े पैमाने पर आलू लगाने से इथेनॉल तैयार हो सकता है। देश की आर्थिक स्थिति बदलने के लिए नए प्रयोग करने होगे। सरकार नागपुर में संशोधन केंद्र शुरू करें, इसके लिए फाउंडेशन काम कर रहा है। विश्राम जामदार ने कहा कि देश में आलू, मक्कासे कितना इथेनॉल तैयार किया जाता है। भविष्य में उसमें कितनी बढ़ोतरी संभव है, इसका डाटा फाउंडेशन सरकार को पेश करेगी।
नागपुर में बने संशोधन केंद्र: अजित पारसे
फाउंडेशन के सचिव अजित पारसे ने कहा कि इथेनॉल व जैव ईंधन में देश को सक्षम बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी अनेक वर्षों से प्रयास कर रहे है। उनकी संकल्पना के कारण पिछले कुछ वर्षों में इथेनॉल, जैव ईंधन को देश में मान्यता मिली है। उनके मार्गदर्शन में नागपुर में बड़ा संशोधन केंद्र बनने पर विदर्भ के किसान, बेरोजगार, व्यावसायियों को नया आर्थिक मंच मिलेगा। ईंधन आयात के बारे में हमारा देश संपूर्ण स्वावलंबी बने बिना आर्थिक स्वतंत्रता मिल नहीं सकती। इसके लिए ग्रीन क्रूड एंड बायोफ्यूल फाउंडेशन प्रयास करेगी। किसान वर्ग को सीधे उद्योग जगत से जोड़ा जाएगा। इसके लिए सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग किया जाएगा।