पुलिस के खुफिया तंत्र के आगे नक्सली विफल 

नक्सल आंदोलन बैकफुट पर पुलिस के खुफिया तंत्र के आगे नक्सली विफल 

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-04 09:46 GMT
पुलिस के खुफिया तंत्र के आगे नक्सली विफल 

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली।  हर वर्ष 28 जुलाई से 3 अगस्त की कालावधि में नक्सलियों द्वारा मनाए जाने वाला नक्सली शहीद सप्ताह इस वर्ष पुलिस के खुफिया तंत्र के आगे पूरी तरह विफल साबित हुआ। शहीद सप्ताह की कालावधि में नक्सली कोई भी छोटी या बड़ी विध्वंसक घटनाओं को अंजाम नहीं दे पाए। नक्सलियों के केंद्रीय समिति सदस्य व महाराष्ट्र कैडर सचिव मिलिंद तेलतुंबड़े की गत वर्ष मुठभेढ़ के दौरान हुई मृत्यु के बाद गड़चिरोली जिले में नक्सल आंदोलन पूरी तरह बैकफुट पर दिखायी दे रहा है। यही कारण है कि, इस वर्ष नक्सली शहीद सप्ताह पूरी तरह बेअसर रहा। 

बता दें कि, वर्ष 1971 से 1972 के बीच पश्चिम बंगाल में पुलिस के जवानों द्वारा की गयी कार्रवाई में नक्सल आंदोलन के संस्थापक नेता चारू मुजूमदार और सरोज दत्त की पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी। जबकि अन्य 150 नक्सली मारे गये थे। इन सबकी मौत की तिथियां 28 जुलाई से 13 अगस्त के बीच थी। इन सभी नेताओं की याद में प्रति वर्ष माओवादी संगठन अपने क्षेत्र में शहीद सप्ताह मनाते हंै। इस कालावधि में मृत साथियों की याद में स्मारकों के निर्माण के साथ लोगों में दहशत निर्माण करने विध्वसंक घटनाओं को भी अंजाम दिया जाता है। 

गड़चिरोली जिले में भी हर वर्ष इस कालावधि में नक्सलियों द्वारा उत्पात मचाया जाता है। पिछले पांच वर्ष  के इतिहास पर नजर डाले तो नक्सली हर मोड़ पर पुलिस के आगे विफल साबित हुए हैं। वर्ष 2018 से 2022 की कालावधि में जिले के विभिन्न स्थानों पर हुई मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों ने 118 नक्सलियों को ढेर किया है। वहीं 133 नक्सलियों को गिरफ्तार करने में भी सी-60 जवान सफल हुए हैं। नक्सली आंदोलन से तंग आकर कुल 69 नक्सलियों ने पुलिस के आगे अपने हथियार डाले। वहीं इन पांच वर्षों की कालवधि में 18 पुलिस जवानों को शहीद होना पड़ा। गत वर्ष 13 नवंबर 2021 को धानोरा तहसील के मरदिनटोला जंगल परिसर में गड़चिरोली के अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) सोमय मुंडे के नेतृत्व में सुरक्षाबलों ने अब तक की सबसे बड़ी सफलता हासिल की थी। 

छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटे मरदिनटोला जंगल परिसर में करीब 18 घंटों तक हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के केंद्रीय समिति सदस्य व महाराष्ट्र कैडर सचिव मिलिंद तेलतुंबड़े समेत 27 नक्सलियों को ढेर कर दिया था। मिलिंद की मृत्यु के बाद नक्सलियों का शहरी नेटवर्क पूरी तरह कमजोर पड़ गया। साथ ही नये सदस्यों की भर्ती भी ठप पड़ गयी। उधर पुलिस विभाग ने जिले के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर विकास कार्य को बढ़ावा दिया। पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल की संकल्पना से आरंभ की गयी पुलिस दादालोरा खिड़की योजना के माध्यम से आदिवासियों को विभिन्न योजनाओं का लाभ भी दिया गया। यही एक कारण है कि, अब गड़चिरोली जिले में नक्सल आंदोलन पूरी तरह बैकफूट पर है। इसी कारण गड़चिरोली जिले में इस वर्ष नक्सलियों का शहीद सप्ताह पूरी तरह बेअसर रहा। सप्ताह की कालावधि में रापनि की दुर्गम क्षेत्र की सारी बसों का संचालन यथावत सुचारू रहा। किसी भी स्थान पर बंद अथवा नक्सली दहशत देखी नहीं गयी। जिला पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल के अनुसार, सप्ताह खत्म होने के बाद भी सुरक्षाबलों की तैनाती जिले के सीमावर्ती इलाकों में रखी गयी है। सी-60 के जवान नक्सलियों की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। 


 

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