मां के दूध से वंचित शिशुओं के लिए नागपुर में बनेगा पहला ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’

मां के दूध से वंचित शिशुओं के लिए नागपुर में बनेगा पहला ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-12 11:30 GMT
मां के दूध से वंचित शिशुओं के लिए नागपुर में बनेगा पहला ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर या आसपास के क्षेत्रों में कई ऐसे नवजात शिशु होते हैं, जिन्हें किन्हीं कारणों से मां का दूध नहीं मिल पाता है। ऐसे शिशु आगे चल कर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, या फिर उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और बीमार पड़ने लगते हैं। कुछ घटनाओं में शिशु की मौत भी हो जाती है। किसी भी नवजात शिशु को  सबसे जरूरी होता है मां का दूध और इसे उपलब्ध कराने के लिए शासकीय मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग प्रमुख डॉ. दीप्ति जैन ने ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’ की पहल की है।  इसके लिए उन्होंने मेयो में तीन वर्ष पहले और मेडिकल कॉलेज में 6 माह पहले प्रशासन के पास प्रस्ताव रखा था। जैसे ही प्रशासन से इसकी मंजूरी मिल जाती है, तो शहर में यह बैंक खुल जाएगा, जिसमें माताएं अपना दूध डोनेट कर सकती हैं। यह दूध जरूरतमंद शिशुओं को उपलब्ध कराया जाएगा। यह बैंक शिशुओं की प्राण रक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।  डॉ. जैन का कहना है कि जिस तरह ब्लड डोनेशन के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है, उसी तरह माताओं को मिल्क डोनेट करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके लिए कैम्प भी लगाए जाएंगे। 


कौन कर सकता है दुग्धदान

ऐसी स्वस्थ माताएं, जो अपने शिशुओं को दूध पिलाती हों। इनके दूध दान करने से उनके शिशु के आहार में कोई कमी न आती हो।


मिल्क बैंक कैसे काम करेगा 

जब माताओं द्वारा दूध दान किया जाएगा, तो उसके बाद  उसकी जांच की जाएगी। फिर उसे पॉश्चराइज्ड कर के माइनस 20 डिग्री तक तीन से छह महीने के लिए फ्रीज किया जाता है। जब भी किसी जरूरतमंद नवजात शिशु को दूध की आवश्यकता होती है, उसे उपलब्ध काराया जाता है।
 

जो माताएं शिशुओं को स्तनपान नहीं करवा पाती हैं, उनके लिए एक खुशखबरी है। वे अपने शिशु के लिए बैंक से दूध ले सकती हैं। चूंकि मां का दूध अमृत समान होता है, इसलिए शिशुओं को पिलाना जरूरी होता है। इससे शिशुओं के पालन-पोषण में माताओं को मदद मिलेगी। यह दूध मिलने से शिशुओं का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा और मृत्यु दर में कमी आएगी।
बहुत सारी ऐसी माताएं होती हैं, जिनके आंचल में दूध ज्यादा आता है और वो वेस्ट हो जाता है, तो ऐसी माताएं जरूरतमंद बच्चों के लिए मिल्क डोनेट कर सकती हैं। 

मदर मिल्क डोनेट करने के लिए आगे आने वाली महिलाओं को काउंसलिंग की सुविधा दी जाएगी। अपने बच्चे को स्तनपान करा रहीं महिलाएं भी चाहें तो दूध डोनेट कर सकती हैं। मां के दूथ की महत्ता के संबंध में श्रुति स्वामी ने बताया कि उनके बेटे आरव के जन्म के बाद दो दिनों तक वह अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाईं थीं। उन्होंने अपने शिशु को भूख से बिलखते हुए देखा था। तब उन्हें अहसास हुआ कि मां का दूध नहीं मिलने से बच्चों को किस तरह की तकलीफ होती है। ऐसे बहुत से शिशु होते हैं, जिनकी मां नहीं होती या फिर उनकी मां अपना दूध पिलाने में सक्षम नहीं होती। उन्होंने सोचा कि जिन माताओं के आंचल में ज्यादा दूध आता है, उन्हें मिल्क डोनेट करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। नागपुर में ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’ जैसी सुविधा तो नहीं है, लेकिन मुंबई में मेरी भाभी को मिल्क डोनेट करने की बात कही और भाभी ने मिल्क डोनेट किया। मुझे इस बात से बहुत सुकून मिला।

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