अकोला मनपा में बिल निकालने घूमती रहती है 27 टेबलों पर फाइलें
अव्यवस्था अकोला मनपा में बिल निकालने घूमती रहती है 27 टेबलों पर फाइलें
डिजिटल डेस्क, अकोला। अकोला महानगरपालिका में ठेकेदारों के बिलों समेत सभी प्रकार के बिलों की अदायगी के लिए कोई नियमावली नहीं है। कितने दिनों में बिल अदा किया जाए इसको लेकर कोई पध्दति नजर नहीं आती, जिससे ठेकेदारों को महीनों तथा सालों तक बिल निकलने का इंतजार करना पड़ता है। लगभग 27 से 28 टेबलों से होते हुए फाइल मंजूर होती है। यह पध्दति कर्ज लेकर काम करनेवाले ठेकेदारों के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। वहीं काम के स्तर पर भी इसका असर हो रहा है। जानकारी अनुसार लगभग 2 करोड़ के बिल लटके हुए है।
अकोला महानगरपालिका की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से मनपा निधि से शायद ही कोई विकास कार्य हुआ हो। ठेकेदार भी मनपा निधि से काम करने की हिम्मत नहीं करते। विकास कार्य पूरी तरह शासन निधि पर निर्भर है। शासन योजनाओं के तहत प्राप्त निधि से सड़क, नाली समेत विविध प्रकार के विकास कार्य होते है। मनपा के निर्माण विभाग के अलावा जलप्रदाय विभाग, आरोग्य विभाग, विद्युत विभाग में भी ठेकेदारों के माध्यम से काम किए जाते है। ठेकेदारों से ऐन समय पर काम करवाया जाता रहा है।
ठेकेदार भी ईधर-उधर से कर्ज लेकर काम करते है। कुछ ही ठेकेदार है, जो आर्थिक रूप से सक्षम है। मनपा की बिल अदायगी की पध्दति से छोटे ठेकेदारों को ही अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बिल निकलने में देरी से ब्याज बढ़ता रहता है, वहीं फाईल पर वजन भी रखना पढ़ता है। ऐसे में 27 टेबलों से फाइल का सफर चुनौती बन गया है। इसलिए कोई सिस्टम बनाकर निर्धारित समय में बिल अदा किए जाए, ऐसी मांग ठेकेदारों उठाई जाने लगी है।