मध्य प्रदेश में शीतलहर और पाला से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका

शीतलहर का प्रकोप मध्य प्रदेश में शीतलहर और पाला से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-21 06:31 GMT
मध्य प्रदेश में शीतलहर और पाला से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका
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डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में शीतलहर और पाला का फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने किसानों को शीतलहर और पाला से बचाव के लिए एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी है।

राज्य मे बीते कुछ दिनों से शीतलहर का प्रकोप बना हुआ है। सतना, रीवा, छिंदवाड़ा, जबलपुर, मंडला, सिवनी, टीकमगढ़, बैतूल, इंदौर, धार,खंडवा, खरगोन, रतलाम, दतिया, गुना में शीतलहर तो उमरिया, खजुराहो, सागर, भोपाल,रायसेन में तीव्र शीतलहर का असर है। इसके चलते फसलों को नुकसान हेा रहा है। कई स्थानों पर तो पाला भी गिरा है। यह स्थिति किसानों की समस्या बढ़ाने वाली है।

किसान कल्याण तथा कृषि विकास के संयुक्त संचालक बी.एल.बिलैया ने किसानों को सलाह दी है कि पाला से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें। पर्याप्त नमी होने से फसलों में नुकसान की संभावना कम होती है। पाला होने की स्थिति में शाम के समय खेत की मेड़ पर धुआँ करें। सिंचाई शाम - रात्रि के समय करें इसके अलावा सल्फर का दो मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या पाला लगने के तुरंत बाद यानी अगले दिन प्रात: काल ग्लूकोन डी 10 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

संयुक्त संचालक बिलैया ने बताया कि सर्दी के मौसम में पानी का जमाव हो जाता है जिससे कोशिकायें फट जाती है एवं पौधे की पत्तियां सूख जाती है परिणास्वरूप फसलों में भारी क्षति हो जाती है। पाला से पौधों तथा फसलों पर प्रभाव पाले के प्रभाव से पौधों की कोशिकाओं में जल संचार प्रभावित होता है। प्रभावित फसल अथवा पौधे का बहुभाग सूख जाता है जिससे रोग एवं कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। पाले के प्रभाव से फल और फूल नष्ट हो जाते है। पाले के प्रभाव से सब्जिया अधिक प्रभावित होती है एवं पूर्णत: नष्ट हो जाती है।

 

आईएएनएस

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