किसान आंदोलन: क्या किसानों को राजी कर पाएगी केंद्र सरकार ? बैठक जारी
किसान आंदोलन: क्या किसानों को राजी कर पाएगी केंद्र सरकार ? बैठक जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि कानून वापसी की मांग कर रहे किसानों को आज सरकार बातचीत का एक बार फिर न्यौता दिया है। दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन दिल्ली में केन्द्र सरकार के मंत्री और 40 किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की बातचीत होगी। बातचीत से पहले किसान सरकार के सामने अपने अहम चार पाइंट कर चुके हैं। हालांकि, सरकार किसी भी हाल में कानून वापस लेने के मूड में नहीं है। क्या किसानों का आंदोलन आज खत्म हो जाएगा या फिर आगे जारी रहेगा। इस बैठक में क्या निष्कर्ष निकलेगा, ये दिखना दिलचस्प होगा।
नये कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसानों के नेता सरकार के साथ छठे दौर की वार्ता के लिए निर्धारित समय के अनुसार बुधवार को दोहपर दो बजे विज्ञान भवन पहुंचेंगे। वार्ता के लिए मुद्दे भी पहले से ही तय है। मेजर सिंह पुनावाल पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हैं। मेजर सिंह से जब पूछा कि आज (बुधवार) वह सरकार से क्या बात करेंगे तो उन्होंने कहा कि सरकार से मुख्य रूप से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने की प्रक्रिया और एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने पर बात होगी।
पुनावाल ने कहा, सरकार ने पहले जो प्रस्ताव भेजा था उस पर इसलिए वार्ता करने को किसान नेता राजी नहीं हुए क्योंकि सरकार ने नये कानूनों में संशोधन की बात कर रही थी, लेकिन अब किसानों द्वारा सुझाए गए मुद्दों पर वार्ता होने जा रही है और हम उन्हीं मुद्दों पर बात करना चाहेंगे।
किसान संगठन की ओर से वार्ता के लिए जो चार मुद्दे सुझाए गए हैं उनमें ये शामिल हैं
1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि
2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, और
4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापिस लेने (संशोधन पिछले पत्र में गलती से जरूरी बदलाव लिखा गया था) की प्रक्रिया।
हालांकि वार्ता के दौरान इस बात पर भी सबकी निगाहें होगी कि वहां किसान नेताओं के लिए खाने-पीने का इंतजाम कौन करता है।
किसान नेता मेजर सिंह पुनावाल कहते हैं कि खाना सरकार का खाएंगे या खुद का इंतजाम करेंगे यह महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि जो किसान 35 दिनों से सड़कों पर बैठे हैं उनके लिए खाने-पीने का इंतजाम देश के किसान ही कर रहे हैं और यहां भी हम खुद ही इंतजाम कर लेंगे, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार किसानों की बात सुने।
उधर, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में चल रहा किसान आंदोलन बुधवार को 35वें दिन जारी है और उम्मीद की जा रही है कि सरकार के साथ होने जा रही छठे दौर की वार्ता से किसानों की समस्याओं का कोई हल निकलेगा जिससे आंदोलन समाप्त होगा।
आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेता कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। संसद के मानसून सत्र में पेश तीन अहम विधेयकों के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इन्हें सितंबर में लागू किया गया। हालांकि इससे पहले अध्यादेश के आध्यम से ये कानून पांच जून से ही लागू हो गए थे।