किसान आंदोलन का 48वां दिनः अन्नदाता बोले- अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे
किसान आंदोलन का 48वां दिनः अन्नदाता बोले- अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे
डिजिटल डेस्क ( भोपाल)। कृषि कानूनों के खिलाफ बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में किसानों का प्रदर्शन जारी है। फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने बताया, "उम्मीद है कि कोर्ट किसानों के पक्ष में और कानूनों को रद्द करने के लिए कोई फैसला लेगी। हमें बुराड़ी ग्राउंड में करीब 48 दिन हो गए।" कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 48वें भी जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया,"अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे। हम सरकार से कहना चाहते हैं कि किसानों की तरफ ध्यान दे। यहां 51-52 लोग मर गए सरकार को उनकी फिक्र नहीं है। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर से किसान यह लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि, "सुप्रीम कोर्ट से तो उम्मीद है मगर सरकार से उम्मीद नहीं है क्योंकि अगर सरकार चाहती तो यह फैसला अब तक हो गया होता।"
उधर, किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी ने कृषि कानूनों के खिलाफ अमृतसर से दिल्ली की ओर ट्रैक्टर रैली निकाली। एक किसान ने बताया, "हमारा हज़ारों ट्रैक्टरों का जत्था दिल्ली धरने में शामिल होगा और 26 जनवरी की परेड में भी शामिल होगा। हमारा जत्था 3 कानूनों को रद्द करवाकर ही वापस आएगा।"
भारतीय किसान यूनियन के राजवीर सिंह जादौन ने कहा, "हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और MSP पर कानून बने।"
कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 48वें दिन भी जारी है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 12, 2021
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट से तो उम्मीद है मगर सरकार से उम्मीद नहीं है क्योंकि अगर सरकार चाहती तो यह फैसला अब तक हो गया होता।" pic.twitter.com/auV6dVgAyc
किसान चाहते हैं कृषि कानून वापस हो : राहुल गांधी
किसान यूनियनों के यह साफ कर देने के बाद कि वे कृषि कानूनों को वापस लिए बिना अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे, कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर हमला तेज कर दिया है। राहुल गांधी ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, किसानों को भ्रमित करने के लिए सरकार का प्रयास निर्थक है, किसानों को मकसद पता है और उनकी मांगें स्पष्ट हैं - कृषि विरोधी कानून वापस हो।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समिति बनाने के संकेत के बाद किसानों ने सोमवार को कहा कि वे किसी समिति के सामने पेश नहीं होंगे। एक अन्य कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक लेख में कहा, प्रदर्शनकारी किसानों की बात सुनी जाय। वर्षों से, सरकारों ने कृषि क्षेत्र की उपेक्षा की है, जो कि किसानों की बहुसंख्यक स्थितियों को पहचानने में विफल रही है। किसानों का आंदोलन इसी पृष्ठभूमि में समझा जाना चाहिए।
किसानों के विरोध प्रदर्शन को कांग्रेस अब खुल कर समर्थन दे रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मसले पर एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए विपक्षी नेताओं से भी बात की है। कांग्रेस ने शनिवार को कहा था कि उसने देश में किसान अधिकार दिवस आयोजित करने का फैसला किया है और 15 जनवरी को सभी राज्यों में राजभवन का घेराव करेगी।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को कहा था, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने निर्णय लिया है कि आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में, पार्टी अपने दफतरों में किसान अधिकार दिवस आयोजित करेगी और 15 जनवरी को प्रदेशों में राजभवन का घेराव भी करेगी।