किसान स्वाभिमानी होते हैं, पलायन नहीं करते  - गौतम

स्थायी उपाय योजनाएं जरूरी किसान स्वाभिमानी होते हैं, पलायन नहीं करते  - गौतम

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-13 09:57 GMT
किसान स्वाभिमानी होते हैं, पलायन नहीं करते  - गौतम

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि कृषि विकास की योजनाओं के अमल का ऑडिट होना चाहिए। केवल योजनाएं बनाने से काम नहीं चलता है। ऑडिट से वस्तुस्थिति का सही आकलन हो पाता है। किसानों के लिए विशेष राहत व पैकेज स्थायी समाधान नहीं है। स्थायी उपाय योजनाएं आवश्यक हैं। कृषि क्षेत्र की भौगोलिक व सामाजिक स्थिति को देखते हुए कृषि विकास की योजनाओं का नियोजन होना चाहिए। किसान स्वाभिमानी होते हैं, वे पलायन नहीं करते हैं। गांव व खेत किसी भी स्थिति में छोड़ना नहीं चाहते हैं। मजबूरी में ही वे दूसरे काम करने लगते हैं। लिहाजा किसानों के विकास के लिए गांव व खेत को सरकार से अधिक आधार मिलना चाहिए। शहरों व औद्योगिक क्षेत्रों को ही रोजगार के केंद्र मान लेना पूरी तरह से सही नहीं है। शहरों में ही रोजी-रोटी मिलती, तो आर्थिक राजधानियों में बेरोजगारी नहीं होती। दैनिक भास्कर से विशेष चर्चा में उन्होंने विविध विषयों पर मत साझा किए।

विंध्य क्षेत्र की बदल रही तस्वीर श्री गौतम ने कहा कि रोजगार व कृषि संकट के मामले में मप्र का विंध्य क्षेत्र पिछड़ा माना जाता रहा है। मैं भी इसी क्षेत्र से हूं। विंध्य क्षेत्र की औसतन जनसंख्या कृषि कार्य पर आधारित रही है। पर्याप्त रोजगार नहीं मिलने से वहां के नागरिक नागपुर, मुंबई, दिल्ली के अलावा कोलकाता जैसे बड़े शहरों में जाकर रोजी-रोटी कमाते रहे हैं। शिक्षा संस्थाओं की भी कमी रही है। इस क्षेत्र की स्थित देश के उन क्षेत्रों की तरह ही रही है, जहां अशिक्षा व असुविधाओं के कारण सामाजिक व आर्थिक स्तर पर गिरावट रही है। कुशल कारीगर नहीं होने से वहां के बेरोजगार शहरी क्षेत्रों में जाकर फेरीवाले, रसोइया, सुरक्षा रक्षक या होटल में वेटर की भूमिका पाते रहे हैं। दावे के साथ कह सकता हूं कि विंध्य क्षेत्र की तस्वीर बदल रही है। 750 मेगावाट की पावर परियोजना को और भी विस्तारित किया जा रहा है। 

ऊर्जा हब के रूप में विकास सिंगरौली का विकास ऊर्जा हब के तौर पर हुआ। कृषि सिंचाई के लिए बाण सागर बांध का विस्तार किया जा रहा है। सीधी, शहडोल, सतना, रीवा जिले में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो रही है। नहरें बनाई जा रही हैं। रोजगार छोटे व्यवसाय, उद्योगों में मिल रहे हैं। ह्वाइट टाइगर इस क्षेत्र की पहचान है। पर्यटन विकास के माध्यम से भी विंध्य क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

विधानसभा में नवाचार लाने के प्रयोग : प्रत्येक क्षेत्र में स्पर्धा है, राजनीति में भी। अध्ययन आत्मविश्वास देता है। तर्क के साथ रखी बातों को नजरअंदाज करने का प्रयास किया जा सकता है, लेकिन उसके प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद मैंने विधायकों को प्रोत्साहन देने के लिए नवाचार लाने का प्रयास किया। महिला दिवस को विधानसभा की कार्यवाही संचालित करने की जिम्मेदारी महिला सदस्यों की दी। उस दिन का कामकाज बेहतर चला।

25 नए विधायकों के प्रश्न ही मंजूर कराए। तय किया गया कि प्रश्न पूछने के लिए विधायक अन्य वरिष्ठ विधायक की सहायता न लें। अवसर का लाभ नए विधायकों ने अपेक्षा के अनुरूप ही लिया। सभी प्रश्न पूछने के बारे में तैयारी करके आए थे। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कल्याण व अन्य पिछड़ा वर्ग  कल्याण संबंधी समितियों को अलग कराया। ओबीसी को उनके प्रतिनिधि सभापति पद पर मिलने लगे। समिति विभाजन से उनमें सदस्यों की भागीदारी भी बढ़ी। विधायक सत्कार अनुरक्षण समिति का गठन कराकर विधायक के प्रोटोकाल संबंधी अधिकार का विशेष संरक्षण कराया। विधायक  से यही आह्वान रहता है कि वे सभा में शब्दों की मर्यादा को न भूलें। 

आंदोलन का स्वरूप बदला : न्याय के आंदोलनों से डरे नहीं। अनुभव के आधार पर कहता हूं, सही मांगें हों, तो उसे पूरी कराने के लिए जनता और सरकार भी झुक जाती है। नए दौर में आंदोलनों का स्वरूप अवश्य बदला है। पहले वाहनों में जोखिम उठाते हुए लोग आंदोलन में शामिल होने पहुंचते थे। आज नकारात्मकता अधिक भीड़ जुटाती है। आंदोलनकारी किसी कानून या सरकार के दबाव की चिंता व्यक्त करने के बजाय यह देखें कि जनता उनकी मांग को कितना उचित मानती है।
 

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