प्रधानमंत्री बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजना के नाम पर बिक रहे फर्जी फार्म
प्रधानमंत्री बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजना के नाम पर बिक रहे फर्जी फार्म
डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा/पांढुर्ना। इन दिनों शहर में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजना के नाम पर फर्जी फॉर्म धड़ल्ले से बिक रहे है। फॉर्म के एवज में लोगों से 20 रुपए प्रति फॉर्म भी लिए जा रहे है। योजना के तहत फॉर्म भरने को लेकर सरकार की ओर से दो लाख रुपए का अनुदान मिलने की बात कही जा रही है, जबकि केन्द्र या प्रदेश सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं चलाई जा रही है।
अनुदान की लालच में आ रहे लोग-
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के यह फॉर्म प्रधानमंत्री बेटी बचाओ योजना के नाम पर भरवाए जा रहे है। योजना के तहत फॉर्म भरने और आवेदन के लिए लोगों को बताया जा रहा है कि 8 से 32 वर्ष तक की आयु की बेटियों के लिए यह फॉर्म भरे जा सकते है और शहर व ग्रामीण किसी भी क्षेत्र में रह रहे लोग इसका लाभ ले सकते है। यह भी बताया जा रहा है कि फॉर्म भरने के बाद केन्द्र सरकार की ओर से दो लाख रूपए का अनुदान प्रदान किया जाएगा। जबकि अधिकारियों की माने तो ऐसी कोई भी योजना किसी भी विभाग के माध्यम से संचालित नही हो रही है, योजना के नाम पर फॉर्म भरा जाना सरासर फर्जीवाड़ा है। अनुदान के चक्कर में लोग बीस रुपए में मिल रहे फॉर्म को धड़ल्ले से भर रहे है।
पोस्ट ऑफिस प्रबंधन की बढ़ी परेशानियां-
बीस रुपए में मिल इस फॉर्म को भरकर भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, शास्त्री भवन, नई दिल्ली के पते पर भेजा जा रहा है। फॉर्म में व्यक्तिगत जानकारियों के अलावा पता, आधार नंबर तक पूछे जा रहे है। इसके अलावा ग्राम स्तर पर रहने वालों के लिए सरपंच से अनुमोदन कराने की बात कही जा रही है। कुछ सरपंच योजना और फॉर्म भरे जाने के संबंध में कोई जानकारी लिए बिना और बिना किसी पुष्टि के धड़ाधड़ हस्ताक्षर कर फॉर्म का अनुमोदन कर रहे है। रोजाना नईदिल्ली भेजे जाने दो सौ से तीन सौ फॉर्म आने के चलते पोस्ट ऑफिस में कार्यरत कर्मचारियों की तकलीफ बढ़ गई है। रोजाना आ रहे इतनी बढ़ी संख्या में नईदिल्ली भेजे जाने आ रहे फॉर्म के चलते पोस्ट ऑफिस प्रबंधन ने महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी उषा पंदरे से जानकारी मांगी तो, उन्होंने विभाग के माध्यम से ऐसी कोई योजना संचालित नही होने की बात कह दी।
26 राज्यों में योजना होने का दावा-
प्रधानमंत्री बेटी बचाओ योजना के नाम पर फॉर्म भराए जाने को लेकर यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि 200 करोड़ रुपए की शुरूआती राशि के साथ यह योजना देश के 26 राज्यों में शुरू की गई है। शहर में रहने की स्थिति में इस फॉर्म पर पार्षदों और ग्रामीण में रहने की स्थिति में सरपंचों के हस्ताक्षर भी करवाए जा रहे है। कोई यह जानने या लोगों को समझाने की कोशिश नही कर रहा है कि योजना के नाम पर लोगों को सिर्फ भ्रमित किया जा रहा है। फॉर्म पर नाम, पता, आधार कार्ड नंबर, बैंक खाता नंबर, आईएफएससी कोड, बैंक शाखा का नाम लिखा मिल रहा है। लोग यह जानकारी भी बिना किसी संकोच के भर रहे हैं। जबकि यह जानकारी भरना खतरे से खाली नहीं है।
इनका कहना-
महिला एवं बाल विकास विभाग की ऐसी कोई ऐसी स्कीम नही है। लोग बहकावे में आकर फर्जी फॉर्म भर रहे है और नईदिल्ली भेज रहे है। अगर कोई लोगों को बहका कर उनसे गलत फॉर्म भरवा रहा है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
-उषा पंदरे, परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग पांढुर्ना।