विवाहेत्तर संबंध आत्महत्या का कारण नहीं

खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप से बरी विवाहेत्तर संबंध आत्महत्या का कारण नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-22 13:28 GMT
विवाहेत्तर संबंध आत्महत्या का कारण नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पत्नी का पराए पुरुष के साथ संबंध पति की आत्महत्या का कारण नहीं हो सकता। देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि प्रत्येक व्यक्ति की आत्महत्या का कारण अलग होता है। यह व्यक्ति के सोचने के तरीके, आत्म सम्मान और परिस्थिति का सामना करने की क्षमता पर निर्भर करता है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इस निरीक्षण के साथ भंडारा निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति को भादंवि 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के आरोप से निर्दोष बरी कर दिया है। हाई कोर्ट ने भंडारा के कारडा पुलिस को याचिकाकर्ता पर दर्ज एफआईआर खारिज करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने माना है कि इस प्रकरण में विवाहेत्तर संबंध के अलावा कहीं ऐसे प्रमाण नहीं हैं कि याचिकाकर्ता ने नियमित रूप से मानसिक प्रताड़ना दी है।

यह था मामला
भंडारा निवासी व्यक्ति एक सरकारी विभाग में कार्यरत था। उसकी पत्नी भी उसी के विभाग में नौकरी करती थी। पत्नी का याचिकाकर्ता के साथ विवाहेत्तर संबंध था। पत्नी नियमित रूप से याचिकाकर्ता से फोन पर बात किया करती थी। इस बात को लेकर पति-पत्नी में आए दिन विवाद होते थे। एक दिन बात जब हद से ज्यादा बढ़ गई, तो पति ने पत्नी और उसके प्रेमी के साथ एक बैठक की, जिसमें पत्नी और उसके प्रेमी ने अपने-अपने जीवनसाथी से तलाक लेकर एक दूसरे से विवाह का एलान कर दिया। इस बैठक में काफी गहमा-गहमी हुई। इसके बाद से ही पति अवसाद में रहने लगा और उसने एक दिन जहर खा कर आत्महत्या कर ली। अपने आत्महत्या पत्र में उसने पत्नी और उसके प्रेमी को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद पुलिस ने पत्नी और उसके प्रेमी पर आत्महत्या के िलए उकसाने का मामला दर्ज किया। प्रेमी ने एफआईआर खारिज करने के लिए हाई कोर्ट की शरण ली।

 


 

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